रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में शामिल निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी और पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। शीर्ष अदालत ने यह जमानत सख्त शर्तों के साथ दी है, जिनमें प्रमुख शर्त यह है कि तीनों आरोपी फिलहाल छत्तीसगढ़ में नहीं रह सकेंगे, ताकि वे मामले में गवाहों को प्रभावित न कर सकें।
हालांकि इन पर अन्य मामलों में भी संलिप्तता की जांच चल रही है, इसलिए जेल से बाहर आने के बाद उनकी स्थिति को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है।
क्या है छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के अनुसार, छत्तीसगढ़ में एक संगठित गिरोह ने राज्य के कुछ वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों की मिलीभगत से जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयला परिवहन में लगे ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली की। एजेंसी का दावा है कि प्रति टन कोयले पर ₹25 की अवैध वसूली की जा रही थी, जिससे करीब ₹540 करोड़ की अवैध कमाई हुई।
ईडी के अनुसार, इस अवैध धन का उपयोग अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत देने, चुनावी खर्च और संपत्ति खरीदने जैसे कई उद्देश्यों के लिए किया गया।
अब तक की कार्रवाई
जांच एजेंसियों ने इस घोटाले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है और कुल 26 आरोपियों के खिलाफ तीन अभियोजन शिकायतें दायर की गई हैं। इसके अलावा करीब ₹270 करोड़ की संपत्तियां भी जब्त की गई हैं।
