छत्तीसगढ़ में दिव्यांगजनों (PwDs) के सशक्तिकरण और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए एक मज़बूत और व्यापक नीति तैयार करने के उद्देश्य से, समाज कल्याण विभाग ने यूनिसेफ के सहयोग से आज रायपुर के कोर्टयार्ड बाय मैरियट में एक दिवसीय ‘राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस’ का आयोजन किया। यह आयोजन राज्य के दिव्यांगजनों के लिए एक सुरक्षित और अधिकार-आधारित भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
सचिव ने रखी नीति की रूपरेखा
कार्यक्रम की शुरुआत में समाज कल्याण विभाग के सचिव, श्री भुवनेश यादव ने प्रस्तावित राज्य नीति और कार्ययोजना की विस्तृत रूपरेखा (Overview) प्रस्तुत की। उन्होंने जोर देकर कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPwD Act) 2016 के प्रावधानों को धरातल पर उतारने के लिए एक समर्पित राज्य नीति की आवश्यकता है, जो छत्तीसगढ़ की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों के अनुकूल हो।
निगम अध्यक्ष की उपस्थिति
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष, श्री लोकेश कावड़िया भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने दिव्यांगजनों के आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता के लिए नीति में ठोस प्रावधानों की वकालत की। इस महत्वपूर्ण विमर्श में समाज कल्याण विभाग की संचालक, श्रीमती रोकतिमा यादव, यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री चेतना देसाई और सुश्री शिखा राणा ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। इसके अतिरिक्त, राज्य के विभिन्न विभागों (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पुलिस, आदि) के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उपस्थित होकर नीति निर्माण में अपना योगदान दिया।
राष्ट्रीय विशेषज्ञों का तकनीकी सत्र
नीति को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए आयोजित ‘एक्सपर्ट सेशन’ में देश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। इनमें शामिल थे:
श्री राजीव रतूड़ी* (स्ट्रैटेजिक एडवाइजर, सक्षम)
श्री अखिल पॉल* (चीफ मेंटर, सेंस इंटरनेशनल इंडिया)
सुश्री अलका मल्होत्रा* (सोशल एंड बिहेवियर चेंज स्पेशलिस्ट, यूनिसेफ इंडिया)
श्री समीर घोष* (इन्क्लूजन एडवाइजर, विश्व बैंक)
सुश्री नम्रता मेहता* (तकनीकी विशेषज्ञ, पॉलिसी एनालिसिस)
श्री प्रतीक अग्रवाल* (निदेशक, आस्था)
श्री गौरव अग्रवाल* (निदेशक, रियल इस्पात एंड पावर)
9 थीमेटिक समूहों में मंथन: ‘समग्र शासन दृष्टिकोण’
ड्राफ्ट नीति की गहन समीक्षा के लिए प्रतिभागियों को 9 थीमेटिक समूहों (Thematic Groups) में विभाजित किया गया। ये समूह किसी एक विभाग तक सीमित न रहकर विभिन्न विभागों (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, सुलभता आदि) के कार्यक्षेत्रों पर आधारित थे। इसका उद्देश्य नीति निर्माण में ‘समग्र शासन दृष्टिकोण’ (Samagra Shashan Drishtikon) को बढ़ावा देना था, ताकि दिव्यांगता का विषय केवल समाज कल्याण विभाग तक सीमित न रहे बल्कि सभी विभागों की साझा जिम्मेदारी बने।
एक ‘अभेद्य’ (Watertight) नीति की ओर एक और कदम
प्रत्येक समूह ने ड्राफ्ट नीति का बारीकी से निरीक्षण किया और इसे बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए। यह चर्चा राज्य के लिए एक मज़बूत और अभेद्य (Watertight) नीति बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि यह संवाद यहीं समाप्त नहीं होगा; विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ यह विचार-विमर्श आगे भी जारी रहेगा ताकि अंतिम नीति में कोई भी कमी न रहे और यह हर दिव्यांगजन को पूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान कर सके।
नशामुक्ति अभियान की शपथ
कार्यक्रम के समापन सत्र में, एक स्वस्थ समाज के निर्माण के संकल्प के साथ सभी उपस्थित अधिकारियों, विशेषज्ञों और प्रतिभागियों ने ‘नशामुक्ति अभियान’ के तहत नशा न करने और समाज को नशामुक्त बनाने की शपथ ली।
Author: Deepak Mittal









