(जे के मिश्र ) छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर का बड़ा फैसला सुनाते हुए गर्भवती तहसीलदार के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है। भिलाई की एवरग्रीन सिटी कॉलोनी निवासी प्रेरणा सिंह, जो वर्तमान में रायपुर में तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं, को 13 सितंबर 2024 को जिला रायपुर से जिला महासमुंद स्थानांतरित किया गया था। छह माह की गर्भवती प्रेरणा ने इस आदेश को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर का दरवाजा खटखटाया।
महिला तहसीलदार ने माननीय कोर्ट में दायर याचिका में अपने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। उन्होंने अपनी याचिका में यह तर्क दिया कि उनकी डिलीवरी की अनुमानित तारीख 18 दिसंबर 2024 है। इसके अलावा, प्रेरणा के पास चार साल की बेटी आद्विता सिंह की जिम्मेदारी भी है। उनके पति रायपुर में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं, ऐसे में महासमुंद में ट्रांसफर से उनकी गर्भावस्था और परिवारिक जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बिठाना मुश्किल हो जाएगा।
स्थानांतरण के कारण स्वास्थ्य पर खतरा
याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष कहा कि गर्भावस्था की इस स्थिति में रायपुर से महासमुंद स्थानांतरित होना उनके और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस हालत में सामान की शिफ्टिंग और नई जगह जॉइन करना उनके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है।
हाईकोर्ट ने ट्रांसफर पर लगाई रोक
सुनवाई के बाद, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रेरणा सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए रायपुर से महासमुंद जिले के लिए किए गए उनके स्थानांतरण पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य सरकार के सचिव और स्थानांतरण समिति के समक्ष स्थानांतरण नीति 2022 के अंतर्गत अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह फैसला प्रशासनिक स्थानांतरण के मामलों में गर्भवती महिलाओं के प्रति विशेष संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत पर जोर देता है।
