प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बिहार के बहुचर्चित बैंक लोन फ्रॉड केस में बड़ी कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है. यह मामला 85 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बैंकों से लोन लिया गया था.
कुछ दिन पहले ED ने बिहार के विभिन्न इलाकों में रेड डाली थी. ये छापा RJD नेता और बिहार के पूर्व मंत्री समेत 18 ठिकानों पर मारा गया था, जिसमें कई अहम दस्तावेज और सबूत ED के हाथ लगे थे.
इस बैंक फ्रॉड के तहत आरोपियों ने गलत जानकारी और जाली दस्तावेजों के सहारे बैंक से लोन हासिल किया. जांच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले में कई प्रभावशाली व्यक्तियों का हाथ हो सकता है. ED ने जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें दो आरोपी रिश्ते में ससुर-दामाद हैं. ED अब इस मामले में गहराई से जांच कर रही है.
इस फ्रॉड केस में बैंक के तत्कालीन सीईओ विपिन तिवारी को मुख्य आरोपी बनाया गया है. विपिन पर फर्जी लोन अकाउंट के माध्यम से जनता के पैसों की हेराफेरी करने और इसे विभिन्न खातों में ट्रांसफर करने का आरोप है. वहीं विपिन तिवारी के ससुर और इस घोटाले के प्रमुख साजिशकर्ता राम बाबू शांडिल्य ने मनी लॉन्ड्रिंग में विपिन की मदद की.
राम बाबू का नाम उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल कोऑपरेटिव बैंक के 30 करोड़ रुपये के घोटाले में भी आया है. वहां राम बाबू के पास बैंक के प्रमोटर और चेयरमैन का ओहदा था. इन दोनों के अलावा नितिन मेहरा और संदीप सिंह पर घोटाले की रकम को छिपाने और मनी लॉन्ड्रिंग में विपिन तिवारी का साथ देने का आरोप है.