Union Budget 2025: सरकार बजट में ज्यादा कर्ज लेने का कर सकती है ऐलान, जानिए यह आपके लिए क्यों अच्छा नहीं है

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र बार यूनियन बजट में सरकार के कर्ज लेने के टारगेट पर करीबी नजरें रहती हैं। इस बार भी यूनियन बजट 2025 में सरकार अगले वित्त वर्ष में मार्केट से कर्ज लेने के अपने टारगेट का ऐलान करेगी।

उम्मीद है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार के कर्ज लेने का टारगेट बढ़ा सकती हैं। निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट 2025 पेश करेंगी। सूत्रों का कहना है कि FY26 में सरकार की ग्रॉस बॉरोइंग बढ़ सकती है। इसकी वजह यह है कि सरकार ने कोविड के दौरान मार्केट से जो पैसे जुटाए थे, उसका पेमेंट करने का समय आ गया है।

कोविड के दौरान जुटाए कर्ज का पेमेंट

सरकार RBI से बातचीत करने के बाद कुछ सिक्योरिटीज की बायबैक कर चुकी है। FY25 में सरकार ने 80,000 करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज का बायबैक किया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार को आगे भी सिक्योरिटीज का बायबैक करना है। इसके लिए सरकार को पैसे की जरूरत पड़ेगी। सरकार इस वित्त वर्ष के दौरान बाजार से कर्ज लेने के अपने टारगेट में कमी नहीं करना चाहती। हालांकि, सरकार ने FY25 के लिए पूंजीगत खर्च का 11 लाख करोड़ रुपये का जो टारगेट रखा था, उसके पूरा होने की उम्मीद कम है। अप्रैल से सितंबर के दौरान सरकार 11 लाख करोड़ रुपये के टारगेट का सिर्फ 37.3 फीसदी खर्च कर पाई है।

सरकार के ज्यादा कर्ज लेने का व्यापक असर पड़ेगा

अगर सरकार यूनियन बजट 2025 में अगले वित्त वर्ष में ज्यादा कर्ज लेने के टारगेट का ऐलान करती है तो इसका व्यापक असर पड़ेगा। आम आदमी पर भी इसका असर पड़ेगा। सरकार को ज्यादा कर्ज लेने के लिए इंटरेस्ट रेट बढ़ाना पड़ता है। इससे इंटरेस्ट रेट बढ़ जाता है। इसका असर बैंकिंग सेक्टर के इंटरेस्ट रेट पर भी पड़ता है। सरकार के ज्यादा कर्ज लेने का मतलब है कि उसे इंटरेस्ट चुकाने पर अपने रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि सरकार के हाथ में खर्च करने के लिए कम पैसे बचेंगे। इसके अलावा सरकार के ज्यादा कर्ज लेने से प्राइवेट सेक्टर के लिए कर्ज की उपलब्धता पर असर पड़ता है।

बॉन्ड्स सहित कई तरह की सिक्योरिटी से जरिए सरकार कर्ज लेती है

सरकार बॉन्ड्स सहित कई तरह की सिक्योरिटी के जरिए मार्केट से कर्ज लेती है। लंबी अवधि के कर्ज के लिए वह बॉन्ड्स जारी करती है। वित्तीय संस्थाओं को सरकार के बॉन्ड्स को खरीदने पड़ता है। इस पर उन्हें सालाना इंटरेस्ट मिलता है। बॉन्ड की अवधि पूरा होने पर सरकार इनवेस्टर का पैसा वापस कर देती है।

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Author: Deepak Mittal

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