बेंगलुरु, ऑक्सफोर्ड के सैद बिजनेस स्कूल ने आज आईआईएम बैंगलोर में जारी अपनी केस स्टडी में बताया है कि किस तरह से भारत का प्रगति प्लेटफॉर्म (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) बड़े बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं को लागू करने के तरीके को बदल रहा है। गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से किया गया शोध बताता है कि कैसे डिजिटल गवर्नेंस में इस नवाचार ने 205 बिलियन डॉलर की 340 परियोजनाओं को गति देने में मदद की है।
इस केस स्टडी के मुख्य निष्कर्ष निम्न प्रकार से हैं:
बुनियादी ढांचे में प्रगति का योगदान 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से, प्रगति ने 205 बिलियन डॉलर की 340 परियोजनाओं को गति देने में मदद की है। इसने बुनियादी ढांचे के विकास में अभूतपूर्व सहायता की है जिसमें 50,000 किलोमीटर के नए राष्ट्रीय राजमार्ग और हवाई अड्डों का दोहरीकरण शामिल है। अध्ययनों से पता चलता है कि बुनियादी ढांचे पर खर्च किए गए प्रत्येक रुपये से सकल घरेलू उत्पाद में 2.5 से 3.5 रुपये का लाभ होता है।
शीर्ष नेतृत्व की भूमिका
प्रगति के मूल में प्रधानमंत्री मोदी की सीधी भागीदारी है । वे आमतौर पर महीने में एक बार राज्य के मुख्य सचिवों और केन्द्रीय मंत्रालय के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठकों के माध्यम से समीक्षा करते हैं। डिजिटल निगरानी उपकरणों के साथ मिलकर इस व्यावहारिक नेतृत्व ने जवाबदेही की एक नई संस्कृति बनाई है। विशिष्ट परियोजनाओं की समीक्षा में प्रधानमंत्री की सक्रिय भागीदारी नौकरशाही के गतिरोध को तोड़ने और कार्यान्वयन में तेजी लाने में मदद करती है।
समस्या की निगरानी और समाधान
प्रगति प्लेटफॉर्म बुनियादी ढांचे में आने वाली बाधाओं का समाधान करने में प्रमुख भूमिका में सामने आया है। इसका अस्तित्व ही समाधान के लिए प्रेरित करता है। अधिकारी अक्सर प्रधानमंत्री की समीक्षा तक पहुंचने से पहले समस्याओं का समाधान कर देते हैं। उसके बाद भी समीक्षा के लिए आने वाली परियोजनाओं में प्रगति का एकीकृत दृष्टिकोण भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने में मदद करता है।
डिजिटल गवर्नेंस इकोसिस्टम
प्रगति प्लेटफॉर्म एक व्यापक इको सिस्टम के भीतर काम करता है जिसमें बुनियादी ढांचे की योजना के लिए पीएम गति शक्ति और पर्यावरण संबंधी मंजूरी के लिए “परिवेश” शामिल है। इस एकीकृत स्वरूप ने अनुमोदन की समय-सीमा को बहुत ही नाटकीय ढंग से कम कर दिया है। पर्यावरण संबंधी मंजूरी जिसमें पहले 600 दिन लगते थे, अब 70-75 दिनों में प्राप्त की जा सकती है। यह इको सिस्टम ड्रोन निगरानी और जीआईएस-आधारित मैपिंग सहित आधुनिकतम उपकरणों का उपयोग करता है।
सामाजिक क्षेत्र में प्रगति की भूमिका
बुनियादी ढांचे से आगे सामाजिक विकास कार्यक्रमों में गति लाने तक प्लेटफॉर्म के प्रभाव का विस्तार हो गया है। प्रगति की देखरेख में पांच वर्षों में नल जल कनेक्शन वाले ग्रामीण घरों की संख्या 17% से बढ़कर 79% हो गई। प्लेटफॉर्म ने नागरिकों की शिकायतों पर सरकार की जवाबी प्रतिक्रिया के समय को 32 से घटाकर 20 दिन करने में भी मदद की है और स्वच्छ भारत मिशन जैसी पहल का समर्थन किया है।
राज्यों में परस्पर सहयोग
प्रगति ने एक तटस्थ प्लेटफॉर्म बनाया है जहां केन्द्र और राज्य सरकारें राजनीतिक संबद्धता की परवाह किए बिना प्रभावी ढंग से एक साथ काम करती हैं। यह प्लेटफॉर्म “टीम इंडिया” का प्रतीक है – जो पारंपरिक नौकरशाही और राजनीतिक बाधाओं को पार कर भारत के संघीय ढांचे में सहयोग को बढ़ावा देता है। कई राज्यों ने अब प्रगति का अपना संस्करण बना लिया है।
वैश्विक नेताओं के लिए डिजिटल गवर्नेंस के सबक
केस स्टडी में अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण सबक हैं जैसे कि: डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने में उच्च स्तरीय नेतृत्व का महत्व, नियमित समीक्षा तंत्र की अहमियत और विकास को गति देने में एकीकृत प्लेटफार्मों की ताकत। शोध बताता है कि प्रगति का दृष्टिकोण अन्य विकासशील और गरीब देशों को बुनियादी ढांचे और शासन की इसी तरह की चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है।