94 साल पहले श्रीराम मंदिर से हुई थी गणेशोत्सव की शुरुआत

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जे के मिश्र, जिला ब्यूरो चीफ, नवभारत टाइम्स, बिलासपुर

बिलासपुर। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म होने की मान्यता है। यही कारण है कि हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन घर-घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है।

शहर में गणेशोत्सव की धूम शनिवार से शुरू होगी, जब भगवान गणपति घरों से लेकर सार्वजनिक पंडालों में विराजेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिलासपुर में गणेशोत्सव मनाने की परंपरा कब शुरू हुई? इसका इतिहास करीब 94 साल पुराना है। वर्ष 1920 में तिलक नगर स्थित श्रीराम मंदिर में पहली बार सार्वजनिक गणेशोत्सव का आयोजन किया गया था। इस आयोजन की प्रेरणा महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक से मिली थी। शहर के महाराष्ट्रीयन परिवारों ने इस आयोजन की शुरुआत की थी और पहली गणेश प्रतिमा तिलक नगर के श्रीराम मंदिर में स्थापित की गई थी।

धार्मिक और बौद्धिक कार्यक्रमों का आयोजन

गणेशोत्सव के दौरान धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ बौद्धिक गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता था। शास्त्रीय संगीत, प्रवचन, परिसंवाद और लोकसंगीत के कार्यक्रम इस उत्सव का हिस्सा हुआ करते थे, जिनकी ख्याति दूर-दूर तक थी। धीरे-धीरे इस उत्सव ने पूरे शहर में लोकप्रियता हासिल की, और गणपति बप्पा का पूजन पूरे समाज में व्यापक रूप से मनाया जाने लगा।

महाराष्ट्रीयन समाज ने बढ़ाया आयोजन का दायरा

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने शिवाजी जयंती और गणेशोत्सव को स्वराज्य आंदोलन के तहत लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत करने के उद्देश्य से शुरू किया था। तिलक के इस प्रेरणा से बिलासपुर के महाराष्ट्रीयन समाज ने भी गणेशोत्सव को बड़े पैमाने पर मनाना शुरू किया। वर्ष 1930 में श्रीराम मंदिर में सार्वजनिक गणेशोत्सव का विस्तार हुआ और इसे व्यापक रूप से मनाया जाने लगा।

नागरिक परिसंवाद की खासियत

गणेशोत्सव के दौरान सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ नागरिक परिसंवाद भी हुआ करते थे। इन परिसंवादों का उद्देश्य समसामयिक और जनजागृति के विषयों पर चर्चा करना होता था। छात्रों और युवाओं के लिए यह ज्ञानवर्धक होता था, वहीं वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह एक चिंतन का मंच होता था। यह पर्व अंग्रेजी शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने का माध्यम भी बना था।

अब हर जगह गणेशोत्सव की धूम

श्रीराम मंदिर से शुरू हुई गणेशोत्सव की परंपरा अब एक धार्मिक और सामाजिक उत्सव का रूप ले चुकी है। एक समय जब यह आयोजन अंग्रेजी शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने का साधन था, आज यह धार्मिक आस्था का प्रतीक बन चुका है। शहर के हर गली-मोहल्ले में गणेशोत्सव की धूम होगी। शनिवार से शुरू होने वाले इस उत्सव में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करेंगे और पूरे 10 दिनों तक यह आयोजन धूमधाम से मनाया जाएगा।

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