छत्तीसगढ़ में 2 माओवादी बने पुलिस कांस्टेबल..

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कबीरधाम  : जिले के इतिहास में पहली बार दो सरेंडर नक्सली पुलिस के जवान बन गए है। ये अब कबीरधाम पुलिस विभाग में पदस्थ हुए है।

यानि, ये एक समय में भक्षक (नक्सली) हुआ करते थे। वहीं अब ये रक्षक (पुलिस) बन गए है। पूर्व नक्सली दिवाकर के ऊपर आठ व तीजू के ऊपर पांच लाख रुपये का इनाम था।

पूर्व नक्सली दिवाकर व तीजू नक्सल संगठन में सक्रिय थे। ये एमएमसी (महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) नक्सल जोन में सक्रिय थे। इनके ऊपर इनाम भी घोषित किया गया था।

एसपी डा.अभिषेक पल्लव ने बताया कि दिवाकर ने वर्ष 2022 व तीजू ने वर्ष 2021 में सरेंडर किया था। सरेंडर किए जाने के बाद शासन की ओर से आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के अनुसार इन्हे लाभ दिया गया। आरक्षक बनने के बाद कबीरधाम जिले में पदस्थ हुए है। दिवाकर जो कि द्वितीय वर्ती कमांडर था।

इसके अलावा तीजू जो कि सहायक कमांडर था। अब ये दोनों जिले के पुलिस में कांस्टेबल के रूप में तैनात होकर समाज की रक्षा करेंगे। यह कदम न केवल शांति और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि अन्य माओवादियों के लिए एक प्रेरणा भी है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों।

दिवाकर ने 16 साल की उम्र में हथियार उठा लिया था और नक्सली के रूप में हाथ में हथियार लेकर जंगल-जंगल भटकते था।कई वर्षों तक नक्सली के रूप में कार्य किया। उनके ऊपर सरकार ने इनाम भी रखा था। सरेंडर किए जाने के बाद शासन की ओर से कई सुविधाएं दी।

दिवाकर को पुलिस ने ओपन स्कूल के माध्यम से पढ़ाई कराई है। उसने इसी साल कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा पास किया है। खास बात यह है कि दिवाकर सरेंडर करने वाले अकेले नहीं थे, उनके साथ उनकी पत्नी ने भी सरेंडर किया था।

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Author: Deepak Mittal

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