अहमदाबाद प्लेन क्रैश: सीट नंबर-11A… प्लेन की सबसे नापसंदीदा सीट साबित हुई सबसे लकी सीट, विश्वास कुमार का बचना चमत्कार!

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मत्कार, अचंभा… जैसे शब्द आज अहमदाबाद विमान हादसे में एक मात्र जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार रमेश पर सच साबित हो रहे हैं. विश्वास कुमार रमेश एअर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI171 में थे.

विश्वास कुमार रमेश बोइंग के विमान 787-8 ड्रीमलाइनर के सीट नंबर 11A पर बैठे थे.

हवाई सफर पर लगातार चलने वाले लोग बोइंग विमान में सीट नंबर 11-A को नापसंदीदा सीट मानते हैं.

अगर आप इतने बदकिस्मत हैं कि आपको यही सीट मिल जाती है यानी कि सीट नंबर 11-A तो आप पाएंगे कि आप विमान के बीच में फंस गए हैं और आपको कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है.

क्यों नापसंद करते हैं सीट 11A

फ्लाइट संबंधी मुद्दों पर जानकारी देने वाली वेबसाइट uniladtech के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह सीट किसी सामान्य खिड़की के बगल में नहीं है, बल्कि वहां एक छोटी सी गोलाकार खिड़की है जिससे आप मुश्किल से ही बाहर देख सकते हैं.

बोइंग की 737-800 विमानों में स्थिति और भी खराब होती है. यह विंडो सीट होते हुए भी बिना विंडो वाला सीट होता है. ऐसा विमान के एयर कंडीशनिंग सिस्टम के कारण होता है, जहां सीट 11A के साथ-साथ एक डक्ट चलता है, जो खिड़की वाली जगह को ब्लॉक करता है. खिड़की से बाहर देखने की उम्मीद करने वाले यात्री जब यहां बैठते हैं तो यहां एक खाली दीवार पाकर निराश हो जाते हैं.

इसके अतिरिक्त कुछ विमानों में 11A विमान के मध्य के पास होता है, जिससे भोजन परोसने और उतरने में देरी होती है, और पंख के ऊपर इसकी स्थिति का मतलब अधिक इंजन शोर और कम लेगरूम हो सकता है.

रयानएयर इस समस्या से जूझती दिखती है. अलास्का एयरलाइंस जैसी अन्य एयरलाइनों के पास बोइंग 737 वेरिएंट पर समान स्थिति (जैसे, 9A-11A) में खिड़की नहीं होती है.

अमेरिकन एयरलाइंस के फ्लाइट अटेंडेंट बताते हैं कि सीट 11A और 11F, जो दोनों ही विंडो सीट हैं, पर यात्री बैठने से बचते हैं, क्योंकि वे विमान से उतरने वाले आखिरी यात्री हो सकते हैं, क्योंकि यह सीट विमान के बीच में स्थित है.

उन्होंने कहा, “अगर आप जल्दी से बाहर निकलना चाहते हैं, तो हर कीमत पर पंक्ति 11 से बचें.” यही वजह है कि लोग इस सीट को नापसंद करते हैं. लेकिन यही नापसंदीदा सीट विश्वास कुमार रमेश के लिए नई जिंदगी लेकर आई. ये आश्चर्य से कम नहीं है कि वे इस प्लेन हादसे के एकमात्र सर्वाइवर हैं.

ब्रिटिश वेबसाइट जीबीएन न्यूज से बात करते हुए एविएशन विशेषज्ञ गॉय लिच ने अहमदाबाद की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस वाकये को याद कर उनके दिमाग में चमत्कार शब्द आता है.

गॉय लिच ने कहा कि “मेरे हिसाब से सीट 11A मलबे से दूर चली गई क्योंकि यह वास्तव में टूट गई थी, मुझे लगता है कि यही एकमात्र तरीका था जिससे वह (विश्वास कुमार रमेश) आग के गोले से बच गया.शायद इसी वजह से उसके चेहरे और सीने पर चोटें आईं.”

गौरतलब है कि विश्वास कुमार रमेश अहमदाबाद-लंदन AI171 उड़ान के बोइंग 787-8 विमान में थे. इस विमान में 12 चालक दल के सदस्यों सहित 242 लोग सवार थे. और विश्वास कुमार रमेश की सीट 11A थी.

’11A’ एअर इंडिया के B787-8 विमानों की इकोनॉमी क्लास की पहली पंक्ति की छह सीटों में से एक है. सीट मैप के अनुसार, यह आपातकालीन निकास द्वारों में से एक के पास की खिड़की वाली सीट है और साथ ही विमान के गली क्षेत्र में भी है.

हालांकि यह निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी कि रमेश को आग में घिरे विमान से बाहर निकलने में किन कारणों से मदद मिली, लेकिन आपातकालीन निकास द्वार के पास बैठना उनके चमत्कारिक रूप से बच निकलने के कारणों में से एक हो सकता है. जैसा कि एक्सपर्ट गॉय लिच ने कहा है कि हो सकता है कि इमरजेंसी गेट खुल गया और वे सीट समेत बाहर आ गए.

विश्वास कुमार रमेश ने क्या कहा

अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती विश्वास कुमार रमेश से शुक्रवार (13 मई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनका हाल चाल जाना.

कुमार विश्वास रमेश ने बताया कि प्लेन जैसे ही रनवे पर स्पीड पकड़ने लगा, तभी थोड़ा अजीब-सा लगा. फिर 5-10 सेकंड के लिए सब जैसे रुक गया था. फिर एकदम से ग्रीन और व्हाइट लाइट्स ऑन हो गईं. विश्वास रमेश बताते हैं कि लगता था जैसे टेकऑफ के लिए पायलट ने पूरा जोर लगा दिया हो. तभी देखते ही देखते विमान सीधा हॉस्टल की बिल्डिंग में जा घुसी.

कुमार विश्वास रमेश ने आगे कहा कि उनकी सीट प्लेन के जिस हिस्से में थी, हो सकता है वो बिल्डिंग के निचले हिस्से से टकराया होगा. शायद मैं सीट सहित नीचे गिर गया था. मैं जैसे-तैसे निकल पाया. दरवाजा टूट गया था, और सामने कुछ खाली जगह दिखी, तो निकलने की कोशिश की.

विश्वास कुमार रमेश बताते हैं कि दूसरी साइड पर दीवार थी, वहां से शायद कोई नहीं निकल सका. विश्वास कुमार रमेश बताते हैं कि उनकी आंखों के सामने ही दो एयर होस्टेस, एक अंकल-आंटी समेत बहुत चीजें जल गईं. इस हादसे में विश्वास का बायां हाथ बुरी तरह जल गया, लेकिन जान बच गई. वह बताते हैं कि जैसे ही बाहर आया, आग फैल रही थी. कुछ सेकंड और देर होती तो शायद अनहोनी हो सकती थी.

बता दें कि इस हादसे में अबतक 265 लोगों की मौत हो चुकी है.

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Author: Deepak Mittal

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