नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को जैसे ही ‘विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, 2025’ पेश किया गया, सदन से लेकर सियासी गलियारों तक भूचाल आ गया। इस विधेयक के जरिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को हटाने का प्रस्ताव सामने आते ही विपक्ष ने इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान करार दिया।
इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सबसे तीखा हमला बोला। उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा,
“मोदी जी को दो चीज़ों से पक्की नफरत है—महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से।”
‘मनरेगा गांधी के सपने का जीवंत रूप’
राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि महात्मा गांधी के ग्राम-स्वराज के सपने का जीवंत रूप है। यह योजना करोड़ों ग्रामीण परिवारों के लिए जीवनरेखा रही है और कोविड काल में आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हुई।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी को यह योजना शुरू से ही खटकती रही है और पिछले दस वर्षों से इसे कमजोर करने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं। अब सरकार मनरेगा का नामो-निशान मिटाने पर आमादा है।
मनरेगा की बुनियाद और ‘नया खतरा’
राहुल गांधी ने मनरेगा के तीन मूल स्तंभ गिनाए—
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रोज़गार का अधिकार: काम मांगने पर काम मिलना
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गांवों को अपने विकास कार्य तय करने की आज़ादी
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केंद्र सरकार द्वारा मज़दूरी का पूरा खर्च और सामग्री लागत का 75% वहन
उन्होंने दावा किया कि नया विधेयक इन मूल सिद्धांतों को खत्म कर देता है।
उनके मुताबिक, अब—
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बजट, योजनाएं और नियम केंद्र सरकार तय करेगी
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राज्यों को 40% खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा
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बजट खत्म होते ही या फसल कटाई के मौसम में दो महीने तक काम नहीं मिलेगा
“गरीबों की रोज़ी-रोटी पर सीधा हमला”
राहुल गांधी ने इस बिल को महात्मा गांधी के आदर्शों का खुला अपमान बताया। उन्होंने कहा कि पहले ही बेरोज़गारी से युवाओं का भविष्य तबाह हो चुका है और अब यह बिल ग्रामीण गरीबों की सुरक्षित रोज़ी-रोटी छीनने का हथियार बन सकता है।
अंत में राहुल गांधी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा,
“हम इस जनविरोधी बिल का विरोध गांव की गलियों से लेकर संसद तक करेंगे।”
Author: Deepak Mittal










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