दुर्ग: छत्तीसगढ़ में किसानों को गुमराह कर अवैध रूप से जैव प्रेरक (बायो-स्टिमुलेंट) बेचने के मामले में कृषि विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। ड्रेकी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई करते हुए करीब 2.84 करोड़ रुपये मूल्य का जैव प्रेरक (ह्यूमिक एसिड) जब्त किया गया। भंडारण स्थल को सील कर दिया गया है और संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं।
15 दिसंबर 2025 को संभाग स्तरीय संयुक्त जांच टीम ने दुर्ग के ग्राम पंचायत धनोरा, आनंद नगर स्थित कंपनी परिसर में छापेमारी की। टीम में संभाग स्तरीय निरीक्षक हेमंत कुमार बघेल, जिला निरीक्षक सुचित्रा दरबारी, क्षेत्रीय उर्वरक निरीक्षक नवीन खोब्रागढ़े, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सोनाली कुजूर और अजय यादव शामिल थे।
जांच में कंपनी प्रभारी धनेश साहू ने स्वीकार किया कि कंपनी प्रदेश के कई जिलों में एजेंटों के माध्यम से जैव प्रेरक ह्यूमिक एसिड बेच रही थी, जबकि इसके लिए वैध विक्रय प्राधिकार पत्र आवश्यक है। कंपनी कोई वैध प्राधिकार पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकी और बिल बुक, स्टॉक रजिस्टर जैसी दस्तावेज भी नहीं दिखाए।
जांच में पता चला कि 1 जनवरी से 15 दिसंबर के बीच 49,360 बोतलें (1 लीटर प्रत्येक) भंडारित की गईं, जिनमें से 38,668 बोतलें बेची जा चुकी थीं। गहन जांच में अतिरिक्त 7,560 बोतलें बरामद की गईं, जिससे कुल 8,886 बोतलें अवैध रूप से जब्त हुईं। अधिकतम विक्रय मूल्य के आधार पर जब्त सामग्री की कीमत 2,84,35,200 रुपये आंकी गई है।
कृषि विभाग ने भंडार स्थल को सील किया और संबंधित इनवॉइस, रजिस्टर व कच्ची बिल बुक जब्त की। जैव प्रेरक के नमूने प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। कंपनी प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। अनियमितता सिद्ध होने पर उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कृषि विभाग की अपील: किसानों से आग्रह है कि वे किसी भी उर्वरक या जैव प्रेरक को खरीदने से पहले उसके पंजीकरण, प्राधिकार पत्र और गुणवत्ता की जांच अवश्य करें। अवैध उत्पाद न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि फसल उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
राज्यभर में ऐसी गतिविधियों पर निगरानी जारी रहेगी और आगे भी सघन जांच अभियान किया जाएगा।
Author: Deepak Mittal










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