देश की राजधानी दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश का सनसनीखेज पर्दाफाश हुआ है, जिसके तार सीधे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े हैं। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे खतरनाक हथियार तस्कर गिरोह के 4 सदस्यों (अजय, मंदीप, दलविंदर और रोहन) को गिरफ्तार किया है, जो पंजाब में ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से तुर्की और चीन निर्मित हाई-एंड पिस्तौलें गिराता था।
पुलिस ने इनके पास से 10 विदेशी पिस्तौलें और 92 ज़िंदा कारतूसों का ज़खीरा बरामद किया है। ये हथियार दिल्ली और आस-पास के राज्यों के बड़े अपराधियों और गैंगस्टर को सप्लाई किए जा रहे थे, जिससे राजधानी की सुरक्षा को सीधा खतरा था। दिल्ली पुलिस ने जिन चार आरोपियों को धर दबोचा है, उनमें से दो का संबंध सीधे पंजाब से है। ये गिरोह तुर्की और चीन में बनी महंगी पिस्तौलों को अवैध रूप से भारत ला रहा था।
दूसरी ओर 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए आत्मघाती कार ब्लास्ट की जांच कर रही खुफिया एजेंसियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। अधिकारियों ने एएनआई को बताया कि यह हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं थी, बल्कि एक बड़े ट्रांस्नेशनल (अंतर्राष्ट्रीय) आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था, जिसने कई शहरों में एक साथ हमले करने की पूरी तैयारी कर रखी थी।
इस हमले में कम से कम 15 लोग मारे गए थे। हमले को अंजाम देने वाला डॉ. उमर नबी था। इसके अलावा, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने चार मुख्य आरोपियों- डॉ. मुज़म्मिल शकील गनाई (पुलवामा), डॉ. अदील अहमद राथेर (अनंतनाग), डॉ. शाहीन सईद (लखनऊ), और मुफ्ती इरफान अहमद वागेय (शोपियां)- को हिरासत में लिया है।
5 लाख की AK-47 और फ्रीज़र कनेक्शन
जांच में सामने आया हर सबूत आतंकी मॉड्यूल की गहरी साजिश को दिखाता है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, मुज़म्मिल ने 5 लाख रुपये से अधिक खर्च करके एक AK-47 राइफल खरीदी थी। यह राइफल बाद में अदील के लॉकर से बरामद हुई थी। यह खरीद बताती है कि इस मॉड्यूल के पीछे फंडिंग और तैयारियों का स्तर कितना बड़ा था
आत्मघाती हमलावर उमर नबी ऑनलाइन बम बनाने के वीडियो और मैनुअल का अध्ययन कर रहा था। उसने नूंह से केमिकल सामग्री और दिल्ली के भगिरथ पैलेस, फरीदाबाद से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदे। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उसने विस्फोटक मिश्रण को स्थिर करने और तैयार करने के लिए एक डीप फ्रीज़र भी खरीदा था। जांच अधिकारियों को इस मॉड्यूल के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।
खुफिया सूत्रों ने पुष्टि की है कि 2022 में, मुजम्मिल, अदील और एक अन्य आरोपी मुज़फ़्फ़र अहमद, तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़े ‘ओकासा’ नाम के एक शख्स के निर्देश पर तुर्की गए थे। उन्हें तुर्की में एक संपर्क के माध्यम से अफगानिस्तान भेजा जाना था। हालांकि, एक सप्ताह इंतजार करने के बाद, हेंडलर ने संपर्क तोड़ दिया और वे वापस लौट आए। फिलहाल इस मामले में आगे की जांच जारी है।
Author: Deepak Mittal









