उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए कंपनियों का बड़ा कदम, सरकार ने बताया डिजिटल बाजार के लिए ऐतिहासिक पहल
नई दिल्ली। देश में ऑनलाइन खरीदारी करने वाले करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए एक राहत भरी खबर है। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने गुरुवार को बताया कि भारत की 26 बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने स्वेच्छा से घोषणा की है कि उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म से सभी डार्क पैटर्न हटा दिए हैं। यह कदम डिजिटल बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने और उपभोक्ताओं को भ्रामक तरीकों से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
क्या होते हैं डार्क पैटर्न?
डार्क पैटर्न वे भ्रामक डिज़ाइन या इंटरफेस तकनीकें होती हैं, जिनका उपयोग करके उपभोक्ता को ऐसे फैसले लेने पर मजबूर किया जाता है जो उसके हित में नहीं होते।
इनमें शामिल हैं—
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झूठी तात्कालिकता
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भ्रामक विज्ञापन
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छिपे शुल्क
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ड्रिप प्राइसिंग
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गलत प्रस्ताव दिखाना
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जबरन सब्सक्रिप्शन ट्रैप
सरकार ने इन प्रथाओं को अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में रखकर 2023 में इनके खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए थे।
26 कंपनियों ने दी स्व-घोषणा
जिन प्लेटफॉर्म्स ने डार्क पैटर्न हटाने की पुष्टि की है उनमें शामिल हैं—
जोमैटो, स्विगी, ब्लिंकिट, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, जियोमार्ट, बिगबास्केट, मेकमायट्रिप, क्लियरट्रिप, इक्सिगो, फार्मईजी, नेटमेड्स, मीशो, अजियो, रिलायंस डिजिटल, टाटा 1एमजी और अन्य प्रमुख नाम।
ये वे कंपनियां हैं जिनका उपयोग देश का बड़ा उपभोक्ता वर्ग रोजाना करता है, ऐसे में इनके द्वारा डार्क पैटर्न हटाने की पहल उद्योग के लिए मिसाल मानी जा रही है।
कंपनियों ने कराया आंतरिक व थर्ड-पार्टी ऑडिट
सरकार ने पुष्टि की है कि सभी 26 कंपनियों ने—
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अपने इंटरफेस
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मूल्य निर्धारण
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सब्सक्रिप्शन मॉडल
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प्रमोशनल तरीकों
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शुल्क संबंधी जानकारी
—का गहन तकनीकी ऑडिट कराया।
ऑडिट के बाद कंपनियों ने बताया कि उनके प्लेटफॉर्म अब किसी भी प्रकार के डार्क पैटर्न से मुक्त हैं।
अन्य कंपनियों को भी मिलेगा प्रोत्साहन
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कहा कि इन कंपनियों की पहल पूरे डिजिटल उद्योग में स्व-नियमन को बढ़ावा देगी। सरकार ने दोहराया है कि उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने वाली किसी भी डिजिटल प्रैक्टिस को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
2023 के दिशा-निर्देशों में 13 डार्क पैटर्न पर रोक
सरकार ने जिन प्रथाओं को प्रतिबंधित किया है उनमें शामिल हैं—
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झूठी तात्कालिकता
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दोष या शर्म का दबाव
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मजबूरन कार्रवाई
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सब्सक्रिप्शन ट्रैप
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गलत कीमतें
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इंटरफेस में हेरफेर
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भ्रामक विज्ञापन
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नकली ऑफर
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मैलवेयर आधारित हेराफेरी
डिजिटल बाजार की ओर पारदर्शिता का बड़ा कदम
ई-कॉमर्स सेक्टर में यह बदलाव उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। 26 कंपनियों की इस पहल से ऑनलाइन ट्रेडिंग न सिर्फ अधिक पारदर्शी होगी, बल्कि उपभोक्ता भरोसा भी मजबूत होगा।
सरकार, CCPA और ई-कॉमर्स कंपनियों के संयुक्त प्रयास से भविष्य में डिजिटल बाजार और अधिक सुरक्षित, न्यायसंगत और यूज़र-फ्रेंडली होने की दिशा में बढ़ रहा है।
Author: Deepak Mittal









