High Blood Sugar: सुबह उठते ही अगर आपका ब्लड शुगर हाई मिलता है, तो यह परेशान करने वाली बात लगती है. खासकर तब, जब रातभर कुछ खाया भी नहीं होता. टाइप-2 डायबिटीज या प्रीडायबिटीज वाले लोगों में यह स्थिति और भी उलझन पैदा करती है.
लेकिन एक्सपर्ट बताते हैं कि खाली पेट ब्लड शुगर बढ़ना एक आम बात है और इसके पीछे शरीर की कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाएं और कुछ लाइफस्टाइल कारण काम करते हैं. इसमें सबसे सामान्य वजह है डॉन फिनॉमेनन। यह वह समय है जब सुबह 2 बजे से 8 बजे के बीच शरीर कुछ खास हार्मोन रिलीज करता है. जैसे कॉर्टिसोल, ग्रोथ हार्मोन, ग्लूकागॉन और एड्रेनालिन. ये हार्मोन शरीर को दिन की एक्टिविटी के लिए तैयार करते हैं और इसी दौरान लीवर खून में ग्लूकोज़ छोड़ता है ताकि सुबह ऊर्जा बनी रहे.
जिन लोगों में इंसुलिन अच्छी तरह काम करता है, शरीर तुरंत अतिरिक्त ग्लूकोज को संभाल लेता है. लेकिन टाइप-2 डायबिटीज या इंसुलिन रेसिस्टेंस वाले लोगों में यह ग्लूकोज संतुलित नहीं हो पाता, और सुबह ब्लड शुगर अपेक्षा से ज्यादा दिखाई देता है. गुरुग्राम स्थित फिजियोलॉजिस्ट डॉ. नलिन विकास कहते हैं कि यह प्रक्रिया शरीर के लिए सामान्य है, लेकिन इंसुलिन रेसिस्टेंस की स्थिति में ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है.
इन वजहों से भी बढ़ता है शुगर
कुछ मामलों में सुबह का बढ़ा हुआ शुगर सोमोजी इफेक्ट की वजह से भी हो सकता है. यह तब होता है जब रात में ब्लड शुगर बहुत नीचे चला जाता है और शरीर उसे बचाने के लिए स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करता है. ये हार्मोन ब्लड शुगर को जरूरत से ज्यादा बढ़ा देते हैं, और सुबह का रीडिंग हाई आता है. कई बार लोग इसे डॉन फिनॉमेनन समझ लेते हैं, लेकिन असल में यह रात के हाइपोग्लाइसीमिया का रिबाउंड होता है. हार्मोनल कारणों के अलावा, कई लाइफस्टाइल फैक्टर्स भी सुबह शुगर बढ़ाते हैं. तनाव और खराब नींद कॉर्टिसोल बढ़ाते हैं, जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंस और अधिक हो जाता है. देर रात खाना, खासकर कार्ब्स या मीठा, रातभर ग्लूकोज को ऊंचा रखता है. दवाइयां गलत समय पर लेना भी फास्टिंग शुगर को बिगाड़ सकता है. इसके अलावा कम एक्टिविटी शरीर को ग्लूकोज उपयोग करने में कमजोर बना देती है.
कैसे कंट्रोल कर सकते हैं इसे?
डॉ. विकास सलाह देते हैं कि इन सभी कारणों को समझकर ही सुबह का शुगर कंट्रोल किया जा सकता है. उनका जोरर है कि डायबिटीज मैनेजमेंट सिर्फ दवाइयों पर नहीं टिका होता, बल्कि खानपान, नींद, तनाव और गतिविधि का संतुलन बेहद जरूरी है. शाम के समय हल्का और लो-कार्ब डिनर लेना रात में ग्लूकोज स्पाइक को रोकता है. डिनर के बाद थोड़ी वॉक करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है. नींद और तनाव का ध्यान रखना हार्मोनल बैलेंस बनाए रखता है. कभी-कभार रात में ब्लड शुगर चेक करना मदद करता है यह पहचानने में कि समस्या डॉन फिनॉमेनन है या सोमोजी इफेक्ट और सबसे जरूरी दवाइयों का समय डॉक्टर की सलाह के अनुसार सेट करना.
Author: Deepak Mittal









