नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सात करोड़ से अधिक सदस्यों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब ईपीएफ फंड से न्यूनतम बैलेंस छोड़कर शेष 100 प्रतिशत राशि निकालना संभव होगा। ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने आंशिक निकासी के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
अब तक केवल तीन बार आंशिक निकासी की अनुमति थी, लेकिन नई व्यवस्था में यह सीमा हटा दी गई है। सदस्य अपनी जरूरत के अनुसार जितनी बार चाहें, अपने भविष्य निधि खाते से रकम निकाल सकेंगे।
सीबीटी की 238वीं बैठक में लिए गए इन महत्वपूर्ण फैसलों की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने की। बैठक में निर्णय लिया गया कि भविष्य निधि खाते से आंशिक निकासी के 13 जटिल प्रावधानों को सरल बनाकर तीन श्रेणियों— आवश्यक आवश्यकताएं (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास और विशेष परिस्थितियां — में समाहित किया गया है।
इसके बाद सदस्य कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के अंश सहित भविष्य निधि में न्यूनतम अनिवार्य राशि छोड़कर शेष पूरी राशि निकाल सकेंगे। निकासी सीमा को उदार बनाते हुए शिक्षा के लिए 10 बार तक और विवाह के लिए 5 बार तक निकासी की अनुमति दी गई है।
साथ ही, सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि घटाकर केवल 12 महीने कर दी गई है। पहले विशेष परिस्थितियों में किए गए निकासी दावों को जटिल प्रावधानों के कारण अक्सर खारिज कर दिया जाता था, जिन पर अब रोक लग जाएगी।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ईपीएस-95 पेंशनभोगियों को घर-घर डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (DLC) सेवा प्रदान करने के लिए इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ समझौता किया जाएगा।
इसके अलावा ईपीएफओ के डिजिटल आधुनिकीकरण 3.0 चरण को मंजूरी दी गई है और अगले पांच साल तक डेब्ट पोर्टफोलियो के प्रबंधन के लिए चार फंड मैनेजरों के चयन पर भी मुहर लगाई गई है।
Author: Deepak Mittal










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