अमिट स्याही से लिखा गया ऐतिहासिक पन्ना:सामान्य दृष्टि की सीमा से ऊपर

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स्व.श्री शान्ताराम शराफ-एक मौन साधक की अन्तर्दृष्टि

विशेष लेख संकलक भगवती प्रसाद मिश्र

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो चीफ मुंगेली 8959931111

सरगांव- बात है 2010 के पूर्व की जब श्री हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप मदकू, मदकू द्वीप के रूप में जाना जाता था, द्वीप क्षेत्र में पुरातात्विक विग्रह के रूप में भगवान धूमनाथ, नृत्य गणेश की प्रतिमा और स्वयंभू शिवलिंग का एक मंदिर ही था। भगवान धूमनाथ और नृत्य गणेश की प्रतिमा उत्खनन से प्राप्त मंदिर समूह वाले स्थान पर आज से 80 वर्ष पूर्व स्थानीय ग्रामीणों ने देखा।

प्रतिमा की सुरक्षा की दृष्टि से कुछ भक्तों के द्वारा छोटी मढ़िया का निर्माण कर उन विग्रहों को स्थापित कर उनका पूजन प्रारंभ किया। जिसमें से एक भगवान धूमनाथ की प्रतिमा सरगांव निवासी महेत्तर राम यादव के द्वारा निर्मित मढ़िया में आज भी पूजित है। शांताराम जी की प्रेरणा से 2021 में श्री हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप सेवा समिति मदकू के द्वारा स्थानीय लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित मंदिर में नृत्य गणेश जी के विग्रह को स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही है।

पूर्व में नृत्य गणेश की प्रतिमा चतुर्भुजी प्रतिमा के रूप में जानी जाती थी किन्तु मंदिर में स्थापना के पूर्व जब प्रतिमा में श्रद्धालुओं द्वारा लगाए गए सिंदूर की सफाई की गई तो पता चला कि भगवान गणेश की प्रतिमा चतुर्भुजी नहीं बल्कि अष्टभुजी है, सामान्य रूप से अष्टभुजी प्रतिमा दुर्लभ होने के कारण अष्टभुजी गणेश प्रतिमा और मंदिर दोनों ही श्रद्धालुओं के आस्था एवं आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं।


बात शुरू हुई थी कि श्री हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप मदकू के हरिहर क्षेत्र के रूप में स्थापना नहीं हुई थी कोई पुरातात्विक प्रमाण नहीं था किन्तु शांताराम जी के द्वारा प्रायः चर्चा के दौरान बताया जाता था कि कि यह क्षेत्र हरिहर अर्थात भगवान विष्णु और शिव दोनों का प्राचीन सिद्ध क्षेत्र रहा है। वरिष्ठ व्यक्तित्व के कथन पर किसी तरह के प्रत्यक्ष तर्क कुतर्क का कोई प्रश्न नहीं था इसलिए हां हूं करके हम उनकी बातों पर स्वीकृति तो दे दिया करते थे किंतु तर्क शील मानस बिना किसी प्रमाण के इस तथ्य को स्वीकार नहीं कर पा रहा था।

ऐसी चर्चाओं के तीन-चार वर्ष पश्चात सन् 2011 हुए पुरातात्विक उत्खनन से एक ही पीठी पर निर्मित 18 मंदिरों के समूह, गरूड़ारूढ़ भगवान लक्ष्मी नारायण,उमा महेश्वर, बड़ी संख्या में स्मार्त लिंग, शिवलिंग मिले ।इन विग्रहों ने माननीय शांताराम जी की कही बात को सत्य सिद्ध किया कि मदकू द्वीप,श्री हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप है।

शांताराम जी के इस पूर्वाभास के पीछे जो एक कारण मेरे ध्यान में आई वो मदकू द्वीप के पुरा वैभव को पुनः स्थापित करने के लिए शांताराम जी का मदकू द्वीप की निरंतर किये जाने वाले चिंतन ने द्वीप से उनका ऐसा तादात्म्य स्थापित किया जो सामान्य दृष्टि की सीमा से ऊपर हो चुका था। उनके चिंतन की सघनता का परिणाम है कि श्री हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप मदकू के विकास के अनेकानेक संयोग बनते गए।

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