निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111
सरगांव – भाद्रपद मास में भगवान गणेश की आराधना का पर्व ‘गणेश चतुर्थी’ बुधवार से नगर व क्षेत्र में श्रद्धा,भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।

हर गली,मोहल्ले और घर में ‘लंबोदर’ यानी श्री गणेश जी की विभिन्न रूपों में जैसे कृष्ण राधा,संकटमोचन हनुमान जी के साथ गणेश,अपने पिता श्रीभगवान शंकर के रूप में,रथ में सवार,हाथों में बड़ा मोदक लिए हुए,अपने सवारी मुसक में विराजमान जैसे नयनाभिराम मनमोहक प्रतिमा स्थापित की गई है।

घर-घर गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा है।लोग पूरी श्रद्धा के साथ पूजा,आरती,भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।इस वर्ष भगवान गणेश की प्रतिमा आगमन पर आतिशबाजी व धुमाल की धूम रही लोगों में काफी उत्साह रहा,समाज को संगठित रखने व एकता बनाए रखने हेतु वरिष्ठ जनों द्वारा समिति बनाकर सार्वजनिक गणेश पूजा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मुख्य रूप से आदि शक्ति महामाया मंदिर,जय मां संतोषी गणेश पूजा समिति, श्री गणेश उत्सव समिति वार्ड 9,बजरंग दल गणेश पूजा समिति वार्ड 7,राम सप्ताह चौक गणेश उत्सव समिति,टाईगर गणेश उत्सव समिति शीतला चौक,बरमदेव चौक,बजरंग चौक,जय स्तंभ चौक,दरबारी चौक,हकीम नगर वार्ड 14 आदि स्थानों के साथ घर- घर में भगवान गणेश की पूजा आराधना कर भक्ति का माहौल दिख रहा है।

परंतु इस धार्मिक उत्सव के साथ कुछ समस्याएं और चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।जिसके मद्देनजर थाना परिसर में समितियों के पदाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर गंभीर विषयों पर चर्चा करते हुए प्रशासन के दिशा निर्देशों का पालन करने कहा गया,मंडल अध्यक्ष पोषण यादव ने बताया कि हर वर्ग के लोग इस पावन अवसर को मनाने में जुटे हैं।

पहले जहां केवल पंडालों में ही गणपति की स्थापना होती थी, अब लोग घर-घर प्रतिमा ला रहे हैं। छोटे से लेकर भव्य आकार की मूर्तियाँ सजाई जा रही हैं। प्रतिदिन पूजा,आरती,भोग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से माहौल आनंदमय हो गया है। यह पर्व लोगों को एकता,सहयोग और श्रद्धा का संदेश दे रहा है।

वंही कानफोटू,बुजुर्गों,नवजात शिशुओं,हृदय रोगियों व मरीजों के लिए घातक ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर लगाम लगाने की बात कही गई है।

महामाया मंदिर समिति अध्यक्ष शिव पाण्डेय ने कहा कि घर-घर व सार्वजनिक स्थलों में लंबोदर की स्थापना जहाँ श्रद्धा,संगठन,भक्ति और एकता का प्रतीक है,वहीं यह समय है कि हम इस उत्सव को जिम्मेदारी के साथ मनाएं। यदि हम अपनी परंपरा को आधुनिक सोच और पर्यावरणीय सजगता के साथ जोड़ें,तो यह पर्व न केवल हमारी संस्कृति का गौरव बनेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा बन जाएगा।

Author: Deepak Mittal










Total Users : 8129844
Total views : 8135445