धान की धरती से दिल हुआ ‘ताशकंद’! छत्तीसगढ़ की तकनीक देख वैज्ञानिक भी हुए कायल

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रायपुर :छत्तीसगढ़ की धान और जैव विविधता से उज्बेकिस्तान के वैज्ञानिक इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने यहां की कृषि तकनीक को वैश्विक साझेदारी में बदलने का फैसला कर लिया।
गुरुवार को उज्बेकिस्तान के डेनाऊ इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरप्रेन्योरशिप एंड पेडागॉजी के रेक्टर प्रो. ओयबेक आब्दीमुमीनोविच रोज़िव के नेतृत्व में आए अध्ययन दल ने कृषि मंत्री रामविचार नेताम से मुलाकात की।

 तीन हजार साल पुरानी मित्रता, आज की तकनीकी साझेदारी

मंत्री नेताम से मुलाकात के दौरान प्रो. रोज़िव ने बताया कि भारत और ताशकंद के 3,000 साल पुराने संबंधों को अब आधुनिक कृषि विज्ञान और शिक्षा से नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की धान उत्पादन तकनीक और जैव विविधता ने उन्हें बेहद प्रभावित किया है।

 इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और उज्बेक संस्थान के बीच ऐतिहासिक MoU

इस दौरे का सबसे बड़ा परिणाम रहा —
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और डेनाऊ इंस्टीट्यूट, उज्बेकिस्तान के बीच हुआ शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग समझौता
इस MoU के तहत दोनों संस्थान मिलकर कृषि, जल संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, औषधीय पौधों और उद्यमिता विकास जैसे क्षेत्रों में साझा शोध करेंगे।

 छात्रों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर

समझौते से रायपुर विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसरों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन और रिसर्च के अवसर मिलेंगे। यह छत्तीसगढ़ के लिए न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि वैश्विक कनेक्टिविटी के लिए भी बड़ी छलांग है।

 मंत्री नेताम को उज्बेकिस्तान का निमंत्रण

प्रो. रोज़िव ने मंत्री नेताम को उज्बेकिस्तान आमंत्रित किया, जिसे मंत्री ने सहर्ष स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इस साझेदारी से दोनों देशों के किसान और विद्यार्थी नई तकनीक और ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकेंगे।

 संगोष्ठी में शामिल हुए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ

कृषि में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा एवं अनुसंधान सहयोग” विषय पर रायपुर में आयोजित संगोष्ठी में प्रो. रोज़िव ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस दौरान डॉ. गिरीश चंदेल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय भी उपस्थित रहे।

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Author: Deepak Mittal

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