बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल लाने वाले करोड़ों के शराब घोटाले में फंसे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या लखमा को बेल मिलेगी या जेल की सलाखें उनका इंतज़ार करती रहेंगी?
क्या है मामला?
पूर्व मंत्री कवासी लखमा पर ईडी और ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया है कि उन्हें शराब घोटाले से 64 करोड़ रुपये का सीधा लाभ हुआ।
उनकी गिरफ्तारी 15 जनवरी 2025 को हुई थी, और वो 21 जनवरी से जेल में हैं।
चार्जशीट के अनुसार, यह पूरा घोटाला एक सुनियोजित रैकेट के तहत हुआ जिसमें शराब नीति में बदलाव कर भारी-भरकम अवैध वसूली की गई।
बचाव पक्ष की दलीलें
लखमा की ओर से पेश अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा ने अदालत में यह तर्क दिए:
-
केस 2024 में दर्ज हुआ, लेकिन गिरफ्तारी 18 महीने बाद हुई – यह कानून के विरुद्ध है।
-
उनके खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत नहीं, केवल गवाहों के बयान हैं।
-
उन्हें राजनीतिक द्वेष के तहत फंसाया गया है।
64 करोड़ के लाभ और 3,841 पेज की चार्जशीट
ईडी की चार्जशीट बताती है कि लखमा समेत 22 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
मुख्य आरोपी अनवर ढेबर को घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है।
इसके साथ ही कई नामी कंपनियां और पूर्व अफसर भी जांच के घेरे में हैं।
अब सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर
छत्तीसगढ़ की सियासत में इस घोटाले ने हलचल मचा दी है।
अब जब हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, तो आने वाले दिनों में तय होगा कि लखमा जमानत पर बाहर आएंगे या जेल में रहेंगे।

Author: Deepak Mittal
