ताजा खबर

आदिवासी विकास विभाग का गोलमोल जवाब, मृतक कर्मचारी के परिजनों को रोजगार देने से किया किनारा

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

मुंगेली– गरीब परिवार की आर्थिक परेशानियों के बीच आदिवासी विकास विभाग की लापरवाही और संवेदनहीनता एक बार फिर उजागर हुई है। मामला काली माई वार्ड, खर्रीपारा निवासी कु. इंद्राणी देवांगन का है, जिनकी छोटी बहन कु. सपना देवांगन का निधन 21 जुलाई 2025 को विद्युत तार की चपेट में आने से हो गया।

सपना देवांगन विगत 12 वर्षों से आदिवासी विकास विभाग में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक होने और घर की पूरी जिम्मेदारी बड़ी बहन इंद्राणी देवांगन पर आ जाने के बाद उन्होंने कलेक्टर कुन्दन कुमार से निवेदन किया था कि बहन के पद पर अथवा उनकी योग्यता अनुसार किसी उपयुक्त पद पर रोजगार प्रदान कर जीवनयापन की सहायता की जाए।


कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए आदिवासी विकास विभाग को जनदर्शन में निर्देश दिया कि यह परिवार अत्यधिक गरीब है, इन्हें किसी न किसी रूप में रोजगार से जोड़ा जाए।


लेकिन हैरत की बात यह रही कि आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने कलेक्टर के पत्र का गोलमोल जवाब देते हुए लिखा कि “फिलहाल किसी भी स्वीकृत पद पर रिक्ति उपलब्ध नहीं है, पद रिक्त होने पर अवगत कराया जाएगा और आगे कार्यवाही की जाएगी।”

परिवार की लाचारी

कु. इंद्राणी देवांगन ने बताया कि उनके पिता और भाई नशे की लत में फंसे हुए हैं, ऐसे में घर की जिम्मेदारी पूरी तरह उन पर है। कच्चे मकान में बरसात का पानी भर जाता है, जिससे जीवन-यापन बेहद कठिन हो गया है।

एकमात्र सहारा उनकी बहन थी, जो अब इस दुनिया में नहीं रही। विभाग से अपेक्षा थी कि सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें रोजगार से जोड़कर परिवार का सहारा बने, लेकिन विभाग ने केवल औपचारिक जवाब देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

प्रशासन की संवेदनशीलता बनाम विभाग की बेरुखी

जहां कलेक्टर ने मानवीय आधार पर परिवार की परिस्थिति को समझते हुए विभाग को रोजगार दिलाने की बात कही, वहीं आदिवासी विकास विभाग का रवैया न केवल गैरजिम्मेदाराना रहा बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी दिखाई दी।


देवांगन समाज के अध्यक्ष आनंद देवांगन अधिवक्ता ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि 12 वर्षों तक विभाग को सेवा देने वाली युवती के परिवार को रोजगार जैसी छोटी सी मदद भी नहीं दी जा सकती तो आदिवासी विकास विभाग के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।


मामले ने यह साफ कर दिया है कि विभागीय अधिकारी केवल नियमों और फाइलों के बीच गरीब परिवारों की जिंदगी को फंसा कर छोड़ देते हैं। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में आगे क्या ठोस कदम उठाता है और क्या वास्तव में इंद्राणी देवांगन जैसी गरीब बेटियों को न्याय मिलेगा या नहीं।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Comment

October 2025
S M T W T F S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  

Leave a Comment