डीएमएफ फंड पर भाजपा में महायुद्ध ,रायगढ़ के ‘शहरी हितग्राही’ सकते में?…

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शैलेश शर्मा 9406308437नवभारत टाइम्स 24×7.in जिला ब्यूरो रायगढ़

*रायगढ़।* खनिज संपदा से भरपूर धरती और उसी की देन डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि) की बंदरबांट को लेकर छत्तीसगढ़ भाजपा के भीतर मचा सियासी घमासान अब निर्णायक मोड़ पर है। बीते एक पखवाड़े से भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष रवि भगत के मुखर तेवरों से उठे इस भूचाल में अब कैबिनेट तक की ज़मीन हिल गई है।

वित्त मंत्री ओपी चौधरी से सीधा टकराव लेने वाले रवि भगत को पहले तो पार्टी ने नोटिस थमाकर शांत करने की कोशिश की, लेकिन कैबिनेट के ताज़ा फैसले ने स्थिति पूरी तरह उलट दी है – अब भाजपा के भीतर ही भगत की चुप्पी नहीं, आवाज़ गूंज रही है।

बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में डीएमएफ फंड के उपयोग को लेकर केंद्र की गाइडलाइन का पालन और फंड का न्यूनतम 70-प्रतिशत प्रभावित क्षेत्र एवं संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर खर्च करने का निर्णय लिया गया।

यह वही बात है जिसे लेकर रवि भगत लगातार आवाज उठा रहे थे। यानी अब सरकार खुद उनके रुख के साथ खड़ी दिख रही है। ये न सिर्फ भगत की नैतिक जीत है, बल्कि भाजपा के भीतर नई पीढ़ी की ताकत का सार्वजनिक प्रदर्शन भी।

रायगढ़ में ‘फुटपाथ ब्रिज’ योजना पर संकट

कैबिनेट के इस ऐतिहासिक फैसले से रायगढ़ शहर में डीएमएफ से बनी दर्जनों योजनाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। फंड के वास्तविक हकदार ग्रामीण व खनिज प्रभावित क्षेत्र रहे हैं, लेकिन वर्षों से योजनाओं का लाभ शहरी प्रभावशालियों और सत्ता के करीबियों को मिलता रहा। अब नियमों के अनुपालन के चलते शहरी क्षेत्रों में चल रही निर्माण योजनाएं, ठेकेदारी और राजनीतिक गठजोड़ सवालों के घेरे में हैं।

धरमजयगढ़,खरसिया और लैलूंगा को मिलेगा न्याय? –

रवि भगत की बुलंद आवाज और कैबिनेट की सहमति से अब उम्मीद की जा रही है कि धरमजयगढ़, लैलूंगा, खरसिया और घरघोड़ा जैसे असली खनिज प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिकता मिलेगी। वर्षों से जिन क्षेत्रों में आदिवासी, विस्थापित और प्रभावित परिवार सिर्फ वादे सुनते आ रहे थे, वहां अब पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार की गुंजाइश बन रही है।

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Author: Deepak Mittal

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