सिरदर्द एक आम समस्या है, लेकिन जब यह दर्द बार-बार हो एक ही तरह से आए और खास परिस्थितियों में परेशान करे, तो इसे हल्के में लेना ठीक नहीं। यह सामान्य सिरदर्द नहीं, बल्कि माइग्रेन हो सकता है।
यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें सिर के एक हिस्से में तेज़, धड़कता हुआ दर्द होता है और इसके साथ कई अन्य परेशान करने वाले लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
माइग्रेन क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?
माइग्रेन एक क्रॉनिक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति को सिर के एक या कभी-कभी दोनों तरफ़ तेज़, धड़कता हुआ दर्द महसूस होता है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक बना रह सकता है। माइग्रेन का दर्द अक्सर आंखों के पास, कनपटी या गर्दन के पास महसूस होता है।
सामान्य सिरदर्द से अलग, माइग्रेन के कुछ खास लक्षण होते हैं:
- सिर के एक तरफ़ तेज़ या धड़कता हुआ दर्द: यह इसका सबसे प्रमुख लक्षण है।
- रोशनी, तेज़ आवाज़ या महक से चिढ़: माइग्रेन के दौरान ये चीजें असहनीय लग सकती हैं।
- मतली या उल्टी की इच्छा: कई लोगों को दर्द के साथ उल्टी भी आती है।
- आंखों के सामने चमकदार धब्बे या लाइट दिखाई देना (Aura): कुछ लोगों को दर्द शुरू होने से पहले आंखों के सामने अजीब से विज़ुअल्स दिखाई देते हैं।
- थकावट या चक्कर आना: दर्द के दौरान या उसके बाद कमजोरी महसूस हो सकती है।
- गर्दन में जकड़न या भारीपन: गर्दन और कंधों में भी दर्द महसूस हो सकता है।
- बोलने या सोचने में दिक्कत (कभी-कभी): कुछ गंभीर मामलों में यह लक्षण भी दिख सकता है।
यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसका खतरा ज़्यादा होता है। कुछ लोगों को माइग्रेन शुरू होने से पहले चेतावनी संकेत मिलते हैं, जबकि कुछ को अचानक ही तेज़ दर्द शुरू हो जाता है।
माइग्रेन का दर्द क्यों होता है?
माइग्रेन होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें “ट्रिगर्स” कहा जाता है। इन ट्रिगर्स को पहचानना माइग्रेन को मैनेज करने के लिए बहुत ज़रूरी है:
- नींद पूरी न होना: अनियमित या अपर्याप्त नींद माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है।
- बहुत ज़्यादा तनाव: तनाव माइग्रेन का एक बड़ा कारण है।
- असंतुलित दिनचर्या: खान-पान और सोने-जागने का अनियमित पैटर्न।
- खाली पेट रहना: लंबे समय तक भूखे रहने से भी माइग्रेन हो सकता है।
- हार्मोनल बदलाव (खासकर महिलाओं में): मासिक धर्म चक्र, गर्भावस्था या मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।
- कुछ खास खाने की चीजें: चॉकलेट, चीज़, प्रोसेस्ड फूड्स, कुछ एडिटिव्स और कैफीन का अत्यधिक सेवन।
- मौसम में बदलाव: तापमान या वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन।
- ज़्यादा स्क्रीन टाइम: लंबे समय तक कंप्यूटर, फोन या टीवी का उपयोग।
माइग्रेन से बचने के घरेलू और लाइफस्टाइल उपाय
माइग्रेन को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल है, लेकिन कुछ घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव करके इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है:
- नियमित और पूरी नींद लें: हर रात 6-8 घंटे की गहरी नींद लेना महत्वपूर्ण है।
- भूखे न रहें: समय पर संतुलित भोजन करें और लंबे समय तक भूखे रहने से बचें।
- स्क्रीन टाइम सीमित करें: खासकर देर रात में डिजिटल स्क्रीन के उपयोग से बचें।
- तेज़ रोशनी या तेज़ गंध वाले माहौल से बचें: ये चीजें माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती हैं।
- योग, प्राणायाम और ध्यान से तनाव कम करें: ये तकनीकें तनाव प्रबंधन में सहायक होती हैं।
- दर्द शुरू होते ही आराम करें: एक शांत, अंधेरे कमरे में लेट जाएं।
- ठंडी पट्टी या आइस पैक का उपयोग: कुछ लोगों को सिर पर ठंडी पट्टी या आइस पैक रखने से राहत मिलती है।
- माइग्रेन ट्रिगर फूड्स से दूरी बनाएं: चॉकलेट, चीज़, प्रोसेस्ड मीट, और अत्यधिक कैफीन जैसे खाद्य पदार्थों से बचें।
कब कराएं माइग्रेन की जांच?
अगर आपको बार-बार माइग्रेन के दौरे पड़ रहे हैं, घरेलू उपायों से आराम नहीं मिल रहा है, या लक्षणों के साथ कुछ गंभीर संकेत दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इन गंभीर संकेतों में शामिल हैं:
- देखने में गड़बड़ी
- बोलने में दिक्कत
- शरीर के किसी हिस्से में सुन्नपन
- बेहोशी
माइग्रेन का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, लेकिन सही समय पर पहचान और उचित रोकथाम व प्रबंधन से इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
