BRICS में मुंबई हमले की बात तक नहीं उठाई थी और डिप्लोमेसी की बात कर रहे हैं..राज्यसभा में विपक्ष पर भड़के जयशंकर

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राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खात्मे के लिए हमने ग्लोबल एजेंडा बनाया है. चाहे ब्रिक्स हो, एससीओ हो, क्वाड हो या द्विपक्षीय स्तर हो, हमने पाकिस्तान को दुनिया में बेनकाब किया है.

मुंबई हमले पर चुप रहने वाले हमें ज्ञान दे रहे हैं कि हमें क्या करना चाहिए. मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा को मोदी सरकार की कोशिशों के जरिए भारत वापस लाया गया. आज उसपर कई मुकदमें चल रहे हैं.

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हमने पहलगाम हमले को लेकर भारत का पक्ष मजबूती से UN में रखा. UNSC की रिपोर्ट में कहा गया कि लश्कर के समर्थन के बिना हमला संभव नहीं था, लश्कर-ए-तैयबा और TRF के बीच संबंध है. भारत ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के जरिए एफएटीएफ प्रक्रिया को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान पर कठोर दबाव डाला.

“खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे”

सिंधु जल संधि पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि जब तक पाकिस्तान पूरी तरह से आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता तब तक सिंधु जल संधि स्थगित ही रहेगी, क्योंकि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे.

जल संधि अनोखे समझौतों में से एक है. मैं दुनिया के किसी भी ऐसे समझौते को लेकर नहीं सोच सकता, जहां पर किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों पर पूरा अधिकार किए बिना ही उसका जल दूसरे देश में बहने दिया हो. ये पूरी तरह से एक असाधारण समझौता था. इस समझौते को हमने स्थगित कर दिया है तो उसके इतिहास पर ध्यान देना जरूरी है. मैंने कल कुछ लोगों को ये कहते हुए सुना कि वो इतिहास से बेचैन हैं. उन्हें ये शोभा नहीं देता कि वो खाली कुछ ही चीजों को याद रखना चाहते हैं जिनको वो पसंद करते है. वो ऐतिहासिक चीजों को भुला देना चाहते हैं.

ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की स्पष्ट नीति

एस जयशंकर ने कहा कि उनको कान खोल कर सुन लेना चाहिए राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में 22 अप्रैल से 16 जून तक फोन पर कोई भी बातचीत नहीं हुई.जब ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत हुई, तब कई देशों ने हमसे संपर्क किया वो जानना चाहते थे कि हालात कितने गंभीर हैं और यह संघर्ष कब तक चलेगा. हमने हर देश को साफ-साफ एक ही संदेश दिया कि भारत किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा. हमारे और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की बातचीत केवल द्विपक्षीय आधार पर ही होगी. हम पाकिस्तान के हमले का पूरी ताकत से जवाब दे रहे हैं और जवाब देते रहेंगे. अगर यह लड़ाई रुकनी है तो पाकिस्तान को पहल करनी होगी. ये अनुरोध केवल DGMO के जरिए ही आ सकता है.

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Author: Deepak Mittal

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