रायपुर। झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले में कार्रवाई तेज हो गई है। झारखंड की ACB/EOW टीम ने शनिवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से बड़ी गिरफ्तारी की है। टीम ने रायपुर के लाभांडी क्षेत्र स्थित एक सोसाइटी से कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को गिरफ्तार किया। उन्हें रायपुर कोर्ट में पेश करने के बाद ट्रांजिट रिमांड पर रांची ले जाया जाएगा।
सिंडिकेट का ‘बिचौलिया’ है सिंघानिया
सिद्धार्थ सिंघानिया पर झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में चल रहे शराब सिंडिकेट का मुख्य बिचौलिया होने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सिंघानिया की एक डायरी से इस नेटवर्क की परतें मिली हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर लेन-देन, साजिश और अधिकारी-कॉरपोरेट गठजोड़ की जानकारी है। घोटाले की जांच CBI और ACB/EOW कर रही है।
38 करोड़ से ज्यादा का नुकसान, और भी खुलासों की उम्मीद
झारखंड ACB की जांच में सामने आया है कि इस घोटाले से राज्य को 38 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। अधिकारियों का मानना है कि जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
छत्तीसगढ़ से कई कारोबारी रडार पर
जांच में सामने आया है कि छत्तीसगढ़ के कई कारोबारी इस घोटाले में सीधे या परोक्ष रूप से शामिल हैं। रायपुर के सरोज लोहिया, बच्चा लोहिया, अतीमा खन्ना, भोपाल के मनीष जैन और राजीव द्विवेदी, पुणे के अजीत जयसिंह राव, अमित प्रभाकर सोलंकी और सुनील कुंभकर को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया है। हालांकि, अब तक कोई भी जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुआ है।
नीति में फेरबदल कर बांटे गए ठेके
एजेंसियों का दावा है कि सिंघानिया ने शराब नीति में मनमाफिक बदलाव कर ठेके दिलवाने का काम किया। इससे शराब आपूर्ति, मैनपावर और होलोग्राम निर्माण से जुड़ी निविदाएं चहेते लोगों को दी गईं। छत्तीसगढ़ में इस मामले में 7 सितंबर 2024 को ACB ने FIR दर्ज की थी, जिसमें तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और वरिष्ठ IAS अधिकारी अनिल टुटेजा समेत कई अफसर आरोपी हैं।
प्लेसमेंट एजेंसी की चयन प्रक्रिया में भी गड़बड़ी
310 शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई हेतु जो निविदा मंगाई गई थी, उसमें 49.67 लाख की EMD और 11.28 करोड़ की बैंक गारंटी जैसे शर्तें रखी गईं। इसमें ‘सरकारी अनुभव’ के नाम पर ऐसी कंपनियों को झारखंड में ठेका दिया गया जो छत्तीसगढ़ में पहले से सिंडिकेट से जुड़ी थीं—जैसे सुमित फैसिलिटीज, इगल हंटर सॉल्यूसंश और एटूजेड इंफ्रा। इन कंपनियों ने सिंघानिया को मैनपावर सप्लाई का ठेका दिया, लेकिन उसने नया स्टाफ रखने के बजाय पुराने ठेकेदारों के लोगों को ही काम पर रखा।
अब तक ये 5 बड़ी गिरफ्तारियां हो चुकी हैं:
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विनय कुमार चौबे – पूर्व प्रधान सचिव, उत्पाद विभाग
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गजेंद्र सिंह – पूर्व संयुक्त आयुक्त
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सुधीर कुमार दास – महाप्रबंधक (वित्त)
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सुधीर कुमार – पूर्व महाप्रबंधक (वित्त सह अभियान)
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नीरज कुमार सिंह – प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन का प्रतिनिधि
निष्कर्ष:
शराब नीति में भारी अनियमितताओं और मिलीभगत के इस घोटाले में लगातार गिरफ्तारी और खुलासे हो रहे हैं। सिद्धार्थ सिंघानिया की गिरफ्तारी इस सिंडिकेट की बड़ी कड़ी को उजागर करती है। आने वाले दिनों में और भी कई रसूखदार नाम जांच एजेंसियों की पकड़ में आ सकते हैं।
