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स्मार्ट सिटी बिलासपुर: कलेक्ट्रेट में व्हीलचेयर की कमी, दिव्यांगों और बुजुर्गों की परेशानी बढ़ी

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जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स24*7in
बिलासपुर

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ का बिलासपुर, जिसे न्यायधानी और स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का दावा किया जा रहा है, यहां की व्यवस्था में बड़ी खामियां उजागर हो रही हैं। लाखों-करोड़ों रुपये के विकास कार्यों के बावजूद कलेक्ट्रेट परिसर में व्हीलचेयर जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इसका खामियाजा दिव्यांगों और बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है।

दिव्यांग को घसीटकर चलने पर मजबूर होना पड़ा
करबला इलाके के रहने वाले दिव्यांग बुजुर्ग जगदीश अपनी समस्या लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि उन्हें आधार कार्ड बनवाने के लिए चॉइस सेंटर भेजा गया, लेकिन परिसर में व्हीलचेयर उपलब्ध न होने के कारण उन्हें घसीट-घसीट कर चलना पड़ा। इतना ही नहीं, जिन कर्मचारी को उनकी मदद के लिए भेजा गया, उन्होंने बुजुर्ग की तकलीफ को नजरअंदाज करते हुए कहा, “तुम्हें तो वहां पहुंचने में आधा घंटा लग जाएगा, मैं आता हूं।”

कलेक्टर परिसर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
कलेक्ट्रेट परिसर में रोजाना सैकड़ों लोग अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, जिनमें बुजुर्ग और दिव्यांग भी शामिल होते हैं। लेकिन स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले इस शहर के कलेक्ट्रेट परिसर में व्हीलचेयर जैसी जरूरी सुविधा की कमी न केवल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि इसे मानवता के खिलाफ भी कहा जा सकता है।

स्मार्ट सिटी का सपना अधूरा
सरकार और प्रशासन स्मार्ट सिटी का सपना दिखाकर शहर को विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जब तक आम जनता, खासकर बुजुर्गों और दिव्यांगों की जरूरतों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक यह सपना अधूरा ही रहेगा। इस घटना ने प्रशासन की योजनाओं और दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जरूरतमंदों के लिए इंतजाम जरूरी
इस तरह की घटनाएं दिखाती हैं कि कलेक्ट्रेट जैसे सार्वजनिक स्थानों पर सुविधाओं की कमी से लोगों को कितनी परेशानी होती है। प्रशासन को इस दिशा में तुरंत कदम उठाते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में व्हीलचेयर और अन्य जरूरी संसाधनों की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि दिव्यांगों और बुजुर्गों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

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