प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ चल रहे मामले में 142 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है.
इन संपत्तियों का बाजार मूल्य लगभग 300 करोड़ रुपये बताया गया है. ये संपत्तियां उन व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं, जो रियल एस्टेट व्यवसायी और एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं.
ईडी ने यह कार्रवाई लोकायुक्त पुलिस, मैसूर द्वारा दर्ज भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दर्ज FIR के आधार पर की है. इसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) द्वारा अधिग्रहित 3 एकड़ 16 गुंटा जमीन के बदले अपनी पत्नी बीएम पार्वती के नाम पर 14 पॉश साइटों के रूप में मुआवजा लिया.
ED, Bangalore has provisionally attached 142 immovable properties having market value of Rs. 300 Crore (approx.) registered in the name of various individuals who are working as real-estate businessmen and agents under the provisions of the PMLA, 2002, in connection with the case…
— ED (@dir_ed) January 17, 2025
MUDA द्वारा अधिग्रहण मूल्य करीब 3,24,700 रुपए और पॉश साइटों का मूल्य करीब 56 करोड़ रुपए हैं. इस प्रक्रिया में पूर्व MUDA आयुक्त डीबी नटेश की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
छापेमारी में हुए बड़े खुलासे
जांच के दौरान ईडी ने पाया कि MUDA द्वारा केवल बीएम पार्वती को ही नहीं, बल्कि कई अन्य रियल एस्टेट व्यवसायियों को भी अवैध तरीके से मुआवजे के रूप में साइटें आवंटित की गईं. इन साइटों को बेचकर बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी उत्पन्न की गई. इस धन को वैध दिखाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का सहारा लिया गया. बेनामी व्यक्तियों के नाम पर साइटों का आवंटन हुआ.
ईडी के अधिकारी सीएम सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ दर्ज मुडा साइट घोटाले की जांच कर रहे हैं. अचल संपत्तियों को रियल एस्टेट उद्यमियों और एजेंटों के नाम पर पंजीकृत किया गया था. मैसूर के गंगाराजू, स्नेहामाई कृष्णा ने शिकायत की थी.
अवैध संपत्ति और घूसखोरी के आरोप
शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मुदा मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है. रिट याचिका पर धारवाड़ उच्च न्यायालय की पीठ में न्यायमूर्ति एम. नागाप्रसन्ना ने सुनवाई की। स्नेहामाई कृष्णा की ओर से दलील देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए.
जांच में यह भी सामने आया कि तत्कालीन MUDA अध्यक्ष और आयुक्त को रिश्वत के रूप में नकद, अचल संपत्ति और अन्य लाभ दिए गए. इस पैसे को वैध दिखाने के लिए इसे कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से लग्जरी गाड़ियां, संपत्तियां, आदि खरीदने में उपयोग किया गया. ईडी ने बताया कि इस मामले में कड़ी जांच जारी है. पूर्व MUDA आयुक्त जीटी दिनेश कुमार और अन्य पर भी गहन पड़ताल की जा रही है.
