मक्‍का की मस्जिद में 200 आतंकी, काबा के सामने बंधक बने नमाजी…हमले से दुनिया में मच गया था तहलका

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

Attack on Kaaba in 1979: सऊदी अरब के मक्‍का मदीना शहर में पूरी दुनिया से हर साल करोड़ों मुसलमान हज करने के लिए आते हैं. यहीं पवित्र काबा है, जिसे इस्‍लाम में सबसे पाक माना गया है. सऊदी सरकार ने यहां पर सुरक्षा के लिए चाक-चौबंद इंतजाम किए हुए हैं. लेकिन एक मौका ऐसा आया था जब काबा पर भी आतंकी हमला हुआ था. यहां नमाज पढ़ रहे 1 लाख से ज्‍यादा नमाजियों को बंधक बना लिया गया था. इस घटना से ऐसा हाहाकार मचा था कि पूरी दुनिया हिल गई थी

खुद को खुदा का भेजा मसीहा बताकर घुसे आतंकी

यह खौफनाक घटना साल 1979 में 20 नवंबर को हज यात्रा के बाद हुई. यहां 200 आतंकी खुद का खुदा का भेजा हुआ मसीहा बताकर मक्का की पाक मस्जिद अल-हरम में घुस गए. हज यात्रा खत्‍म होने से तीर्थयात्री अपने-अपने देश वापस लौट गए थे लेकिन मुहर्रम का पहला दिन होने से आतंकी हमले के वक्‍त काबा में 1 लाख से ज्‍यादा मुसलमान मौजूद थे.

अल-हरम में सुबह की नमाज (फज्र) अदा करके लोग बैठे ही थे कि सफेद कपड़ों में हथियारों से लैस 200 आतंकी वहां आए और नमाजियों को घेर कर उन्‍हें बंधक बना लिया.

ताबूतों में भरे थे हथियार

सऊदी के आधुनिक इतिहास के इस सबसे बड़ा हमले को लेकर एक बड़ा सवाल यह था कि मस्जिद में तैनात सिक्योरिटी कभी हथियार नहीं रखते. ऐसे में इन लोगों के पास हथियार कहां से आए या ये हथियारों के साथ मस्जिद के अंदर कैसे पहुंचे.

बाद में पता चला कि हथियारों को ताबूतों में भरकर जनाजे की शक्‍ल में अंदर लाया गया था. इसके बाद पाक मस्जिद अल-हरम में गोलियां की आवाजें गूंजने लगीं. काबा शरीफ में गोलियों की आवाज से दहल उठा. वहीं दरवाजे लोहे की मोटी जंजीरों से बंद कर दिए गए थे ताकि कोई बाहर ना निकल सके. वहीं नमाजियों को अलग-अलग भाषाओं में निर्देश दिए गए और उन्‍हें वहीं रहने के लिए कहा गया.

14 दिन चला आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन

इस्‍लाम के तीर्थ पर हमला हुआ था लेकिन उससे निपटने में कई मुश्किलें थीं. अल-हरम मस्जिद पर हमले के वक्‍त ना तो सऊदी इंटेलीजेंस के चीफ प्रिंस देश में थे और ना ही सऊदी नेशनल गार्ड्स के चीफ प्रिंस अब्दुल्ला. हमले की जानकारी लगते ही वे वापस आए और ऑपरेशन की तैयारियां शुरू की गईं.

चूंकि यह मस्जिद इस्‍लाम धर्म के सबसे पवित्र स्‍थानों में से एक थी, ऐसे में इस पर सैन्‍य हमला करने के लिए कई धर्मगुरुओं से इजाजत ली गई. इसके बाद 14 दिन तक ऑपरेशन चला और इसमें 137 हमलावरों को मार गिराया गया और 63 को गिरफ्तार कर लिया गया. 6

हमलावरों को सार्वजनिक स्‍थलों पर दी गई मौत की सजा

बचे हुए हमलावरों को गिरफ्तारी के 1 महीने बाद सऊदी अरब के 8 शहरों में सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी गई थी. अमेरिका ने ईरान को इस हमले का जिम्मेदार ठहराया था. इस हमले के विरोध में पूरी दुनिया मुसलमानों ने प्रदर्शन किए. वहीं पाकिस्तान के इस्लामाबाद में गुस्साई भीड़ ने अमेरिकी दूतावास को आग के हवाले कर दिया था. वहीं सऊदी अरब को यह ऑपरेशन चलाने में पाकिस्तान और फ्रांस ने सैन्‍य मदद दी थी.

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *