PM मोदी का यह नई परंपरा ऐतिहासिक, वीर साहिबजादों को बड़ी श्रद्धांजलि, अब 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस

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ई दिल्लीः कई पुरानी पड़ चुकी लीक तोड़ने वाली और कई नई परंपराओं की शुरुआत करने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार एक और बदलाव ले कर आई है. आजादी के बाद पहली बार अदम्य साहस और असाधारण उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस की बजाय 26 दिसंबर को दिए गए.

देखा जाए, तो बहादुर बच्चों को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित करने की बजाय वीर बाल दिवस पर सम्मानित करने की परंपरा शुरू करना सही कदम है.

पीएम मोदी ने पहले ही कर दिया था ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर नौ जनवरी, 2022 को उनके साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की याद में हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का ऐलान किया था. तब से ही हर साल 26 दिसंबर को दिल्ली में वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है. यह दिवस 10वें गुरु गोविंद सिंह जी के वीर सुपूत सात साल के बाबा जोरावर सिंह और मात्र पांच साल के बाबा फतेह सिंह सरहिंद के शासक वजीर खान के अत्याचारों के बाद भी धर्म परिवर्तन के लिए राजी नहीं हुए और हंसते-हंसते बलिवेदी पर चढ़ गए. तब दोनों साहिबजादों के साथ उनकी माता गुजरी भी कैद की गई थीं, लेकिन वे अपने बेटों को धर्म की रक्षा के लिए सिर नहीं झुकाने और धर्म नहीं बदलने की ही शिक्षा देती रहीं.

जानें क्या है 26 दिसंबर का इतिहास
साल 1705 में 26 दिसंबर को दोनों साहिबजादों ने वजीर खान की अदालत में धर्म बदलने से इनकार कर दिया और जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल के नारे लगाने लगे. क्रोध में आ कर वजीर ने उन्हें दीवार में चुनवाने का हुक्म दे दिया। इस पर भी दोनों बहादुर साहिबजादे धर्म बदलने के लिए तैयार नहीं हुए और शहादत दे दी. इस मौके पर दिल्ली के भारत मंडपम में हुए समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लोकतंत्र अंत्योदय की प्रेरणा देता है. संविधान हमें सिखाता है कि देश में कोई छोटा-बड़ा नहीं है. गुरु परंपरा में हमें सभी को एक समान भाव से देखना सिखाया है और संविधान भी हमें इस विचार की ही प्रेरणा देता है. वीर साहिबजादों का जीवन हमें देश की अखंडता और विचारों से कोई समझौता नहीं करने का संदेश देता है.

PM मोदी ने साहिबजादों का बताया था त्याग
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र की विराटता में गुरुओं की सीख है, साहिबजादों का त्याग है. हमारे युवाओं को किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए. भारत का युवा आधुनिक विश्व को दिशा दे सकता है. वीर बाल दिवसे पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा का दिवस है. मोदी ने कहा कि देश के लिए किया गया हर काम वीरता है. देश हित से बड़ा कुछ नहीं है. भारत के युवाओं ने क्रांति में योगदान दिया है. हर सेक्टर में युवाओं को बढ़ावा मिल रहा है. बड़े लक्ष्य ही हमारे लक्ष्य हैं. देश का युवा स्वस्थ्य रहेगा, तभी देश स्वस्थ रहेगा. युवा पीढ़ी ही स्वस्थ भारत का निर्माण करेगी.

17 बच्चों को इस बार मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के 17 बच्चों को राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिए. इस बार 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 17 बच्चों को यह पुरस्कार दिया गया है. इनमें सात लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा- “आज वीर बाल दिवस पर हम साहिबजादों की अद्वितीय वीरता और बलिदान को याद करते हैं. छोटी उम्र में वे अपने विश्वास और सिद्धांतों पर दृढ़ रहे और पीढ़ियों को अपने साहस से प्रेरित किया. उनका बलिदान वीरता और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का ज्वलंत उदाहरण है. हम माता गुजरी जी और श्री गुरु गोविंद सिंह जी की बहादुरी को भी याद करते हैं। वे हमेशा अधिक न्यायपूर्ण और दयालु समाज के निर्माण की दिशा में हमारा मार्गदर्शन करें.”

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Author: Deepak Mittal

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