गोरखपुर के दक्षिणांचल में धुरियापार क्षेत्र की जमीन ऊसर या बंजर थी। योगी सरकार उद्योगों की फसल उगाएगी, जिस पर तिनका भी मुश्किल से उगता था। इसके लिए प्रस्तावित धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, जिसका क्षेत्रफल 5500 एकड़ है, बनाया जा रहा है।
17 गांवों में अभी तक 500 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई है। यह कॉरिडोर पूर्वांचल में सबसे बड़ा औद्योगिक जमीन बैंक होगा। सरकार इसे इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर के रूप में विकसित करने के लिए बड़े उद्यगों का संजाल बिछाना चाहती है। यह इंडस्ट्रियल कॉरिडोर गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से जुड़ा है और भविष्य में रेल कनेक्टिविटी भी मिलेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को बनाने के लिए प्रक्रियात्मक कार्य को तेज कर दिया है। गीडा की तैयारी इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का पहला चरण जल्द ही लांच करने की है। पहले चरण में, सकरदेईया, हरपुर और काश्तकाशी नायक गांवों में लगभग 1600 एकड़ जमीन अधिग्रहण की जानी है। गीडा ने भी इसमें से पांच सौ एकड़ जमीन खरीद ली है। योगी सरकार ने ग्रेटर गीडा को धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाया है, जो फसलों के माध्यम से सोना उत्पादित करता है और उद्योगों के माध्यम से रोजगार पैदा करता है।
इस कॉरिडोर को बसाने के लिए 17 गांवों की जमीन परती है। यानी किसानों के लिए बेकार अब तक सिर्फ रकबे में गिना जाता है कि ये जमीन किसानों को बहुत कुछ देगी। धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का मास्टर प्लान, सीएम योगी के मार्गदर्शन में, पिछले सात सालों में देश-विदेश के कई निवेशकों का गोरखपुर की ओर रुझान देखते हुए, अब सिर्फ शासन से मंजूरी की जरूरत है। धुरियापार क्षेत्र में कुछ जमीन प्राकृतिक है। किसानों को केवल ऊसर जमीन मिल रही है।
धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को 17 ग्रामों की 5500 एकड़ भूमि में बसाया जाएगा. इस कॉरिडोर का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाना है. मास्टर प्लान के मुताबिक कुल क्षेत्रफल में 32.04 प्रतिशत क्षेत्र औद्योगिक, 19.39 प्रतिशत आवासीय, 6.51 प्रतिशत पीएसपी, 4.21 प्रतिशत व्यावसायिक, 15.70 प्रतिशत हरित-खुला क्षेत्र, 2.32 प्रतिशत मिश्रित, 4.17 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट सुविधाओं के लिए प्रस्तावित है.
दक्षिण के लिए सिद्ध होगा धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है, जैसा कि गेम चेंजर गीडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अनुज मलिक ने बताया। 500 एकड़ जमीन अब तक अधिग्रहण की गई है, और प्राधिकरण लगातार बाकी जमीन के लिए काम कर रहा है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि यह इंडस्ट्रियल कॉरिडोर धुरियापार समेत पूरे गोरखपुर दक्षिणांचल के लिए एक वरदान साबित होगा जब यह पूरा हो जाएगा। सरकार पिछले सात साल में गोरखपुर की ओर कई विदेशी निवेशकों का रुझान देखते हुए धुरियापार क्षेत्र को ग्रेटर गीडा बनाने की तैयारी कर रही है। यहां औद्योगिक विकास के साथ रोजगार की बहार भी बहेगी।
धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर रोड और रेल कनेक्टिविटी के लिहाज से उद्योगों के लिए काफी मुफीद साबित होगा. यह क्षेत्र गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से जुड़ा है. साथ ही सहजनवा से दोहरीघाट तक प्रस्तावित नई रेल लाइन परियोजना भी यहां से गुजर रही है. ऐसे में यहां बड़े उद्योगों के लिए पृथक से रेलवे साइडिंग दिए जाने की भी व्यवस्था होगी. उद्योगों के लिए कच्चा माल मंगाना और तैयार माल भेजना काफी सुविधाजनक होगा.
गोरखपुर के दक्षिणांचल के औद्योगिक विकास को लेकर योगी सरकार काफी संजीदा है. धुरियापार में बनने के बाद से ही बंद पड़ी चीनी मिल के कुछ हिस्से में इंडियन ऑयल की तरफ से कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट लगाया जा चुका है. इस प्लांट के बाद धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के मूर्त रूप में आने के बाद इस क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा. इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में लगने वाले उद्योगों से करीब 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार सुलभ होगा.
गीडा की सीईओ अनुज मलिक बताती हैं कि धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए निवेश प्रस्ताव आने शुरू हो गए हैं. अडानी समूह और जेके ग्रुप ने इस कॉरिडोर में सीमेंट फैक्ट्री लगाने के लिए क्रमशः 65 और 50 एकड़ जमीन की मांग की है. इसके अलावा कई अन्य औद्योगिक समूह यहां निवेश में रुचि दिखा रहे हैं.Diabetic Care Instructions: डॉक्टर ने बताया कि ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए हर दिन ये काम करें
Author: Deepak Mittal









