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चंबल में ही, होते थे, क्या डाकू? समाज हो या शासन, हर एक जगह फैले हैं, रक्तबीज की तरह सफेद पोश डाकू… स्कूल चले हम…… स्कूल चले हम……

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Deepak Mittal

जया अग्रवाल, विशेष संवाददाता (ऑल इंडिया) बिलासपुर, छ.ग.।कटनी,मध्यप्रदेश

शिक्षा विभाग कटनी मध्यप्रदेश  दिनांक15.11. 24 शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश  का मामला संज्ञान में आया है। स्कूल में भ्रष्टाचार छाया है। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बड़वारा जिला कटनी मध्य प्रदेश के, उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं प्रभारी प्राचार्य है, जुगल किशोर चौरसिया, जो विगत 7- 8 वर्षों से एक छत्र, जिला शिक्षा अधिकारी कटनी एवं कलेक्टर कटनी की वरदहस्तता में स्कूल को प्राप्त होने वाली समस्त प्रकार की राशियों एवं शासन से प्राप्त होने वाली आवंटन राशि को हड़पने, डकारने, बंदर बांट करने में महारत हासिल किए हुए हैं।


उनके उच्च से उच्चतम अधिकारियों, नेताओं, मंत्रियों, विधायकों, आरएसएस तक पहुंच के प्रभाव से कोई पूर्णकालिक स्थाई प्राचार्य इस शाला को नसीब नहीं हो पाता था, किसी की पद स्थापना होने के पूर्व ही जुगाड़ बैठा कर चौरसिया रफा दफा कर दिया करता था ।


इस संकुल शाला में प्रतिवर्ष इलाके के अलावा बाहरी छात्रों के वैध, अवैध ऐडमिशन करके भारी भरकम विभिन्न प्रकार की शुल्क बटोरी जाती है, जिससे वर्ष भर कुछ ना कुछ लगातार निर्माण कार्य एवं मरम्मत कार्य तथा भंडार क्रय नियमों के विरुद्ध बिना जीएसटी वाले बिलों से आवश्यक तथा अनावश्यक स्कूल संबंधी विभिन्न सामग्रियां खरीदी का कार्य चौरसिया करते चले आ रहे हैं। किंतु अपना मूल कार्य अध्यापन, अध्ययन नहीं करते हैं।


अतिथि शिक्षकों की मनमानी भर्ती करके अपना प्रबल शक्तिशाली ग्रुप बनाकर रखते रहे हैं, ऐसे अतिथि शिक्षकों को अनुचित प्रलाभों से खुलकर लाभ पहुंचाते हैं, ताकि उनके विरुद्ध होने वाली शिकायतों को बहुमत के आधार पर तथा झूठ एवं झूठे बयान दिलवाकर रफा- दफा करवा कर, सत्यवादी हरिश्चंद्र बने रहते हैं।


जे. के.चौरसिया के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार तथा स्कूल की अनियमिताओं, दुरव्यवस्थाओं, बद से बदतर इंतजामों को मानवीयता से, सुधारने से मुंह मोड़ कर लालू बने रहे हैं।
चौरसिया के भ्रष्टाचरण संबंधी जानकारी मांगने हेतु विभिन्न व्यक्तियों द्वारा समय-समय पर सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी मांगे जाने पर बिल्कुल नहीं दी जाती है, जिसमें अपीलीय तथा प्रशासकीय एवं विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत नहीं होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता है, जिससे चौरसिया के द्वारा गंभीर वित्तीय अनियमिताओं तथा नियम विरुद्ध कृतयों के द्वारा भारी भ्रष्टाचार करके लाखों रुपया प्रति वर्ष हजम करते चले आ रहा है।


शाला में प्रवेश हेतु फार्म भी ₹10 में बेचा जाता है, ना हो सकने वाले एडमिशन भी राशि बटोरने के लिए कर लिए जाते हैं। अच्छा रिजल्ट लाने, शाला को उत्कृष्ट दिखाने हेतु परीक्षाओं में भरपूर नकल करवाई जाती है, पर्यवेक्षकों को ही यह जिम्मा दिया जाता है, जिससे टीचर्स वर्षभर पढ़ाने के प्रति गंभीर नहीं रहते हैं।


ज्ञात एवं प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष चौरसिया की कई शिकायते हुई थी, जिनके जांच अधिकारी दूसरे स्कूल के प्राचार्य को या समकक्ष प्रकार के ईमानदार को ही जिला शिक्षा अधिकारी कटनी के द्वारा बनाया जाता रहा है, जो अतिथि शिक्षकों के बहुमत की तथा चौरसिया को अपने संवर्ग के होने के नाते पूर्ण बचाव कर, जांच की औपचारिकता पूर्ण कर झूठी व आधारहीन शिकायत ठहराकर D. E. O. एवं पूर्व कलेक्टर अवी प्रसाद कटनी को प्रतिवेदन देकर, के माध्यम से, निरमूल करवा दिया जाकर, ऊपर शासन की ओर तक भी पहुंचा दिया जाता रहा है। यह भी ज्ञात हुआ है कि चौरसिया यहीं पर पूर्व में परीक्षा कापियों में बिना जांच किए मुख् पृष्ठ पर विद्यार्थियों के नाम, शक्ल एवं धारित परिवार की प्रतिष्ठा या गरीब या मीडियम होने के अनुसार अंक रखने के मामले में निलंबित हो चुके हैं, किंतु जुगाड़ लगाकर बिना किसी दंड के, सेटिंग करके, बेदाग बहाल होकर यहीं पदस्थ हो गए थे।

यह भी ज्ञात हुआ है कि उनके द्वारा दो संतानों पर ग्रीन कार्ड अंतर्गत दो विशेष वेतन वृद्धियों का लाभ अनेकों वर्षों से लिया जा रहा है, जबकि उनकी तीन संताने थी, किंतु पश्चात में एक संतान का आकस्मिक दुखद निधन हो गया है। परंतु उक्त लाभ लेने के समय तीन संताने थी।


यह भी जांच का विषय है की तीसरी संतान का जन्म दिनांक 26 जनवरी 2001 के पश्चात होने पर शासकीय नौकरी हेतु अयोग्य एवं अपात्र होने का नियम है। क्या चौरसिया पर यह नियम लागू नहीं होता है? चौरसिया जुलाई 1998 से लगातार अद्यतन तक एक ही स्थान, एक ही शाला में, एक ही पद पर, तथा प्रभारी प्राचार्य बनकर पदस्थ हैं, जो नियम विरुद्ध नहीं है क्या?


चौरसिया ने 25 वर्षों के बाद पहली बार पदोन्नति 2023 में मिलने पर पदोन्नति लेने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उक्त संकुल के प्राचार्य बतौर भ्रष्टाचार पूर्वक जो कमाई  इस शाला में हो रही थी, वह और कहीं मिलती यह जरूरी नहीं है। वेतन क्रमोन्नति से उच्चपद का मिल ही रहा है। किसी हाई स्कूल के प्राचार्य बनाकर इतनी कमाई नहीं हो सकती थी ।
यह भी ज्ञात हुआ है कि चौरसिया के लंबे समय से भारी भरकम भ्रष्टाचार की शिकायतें मुख्य मंत्री मोहन यादव, स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, लोकायुक्त ऐसीबी, प्रधानमंत्री कार्यालय सहित संबंधित स्कूल शिक्षा विभाग M.P. के सभी आईएएस अधिकारियों कमिश्नर, कलेक्टर कटनी वर्तमान दिलीप यादव को प्रेषित की गई है। किंतु आज दिनांक तक किसी भी स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की जाना आश्चर्यजनक प्रतीत होता है।


देखने वाली बात यह है कि शासन और प्रशासन, जिला शिक्षा अधिकारी पृथ्वी पाल सिंह कटनी की वरदहस्तता एवं मार्गदर्शन में तथा भागीदारी स्वरूप, निडरता पूर्वक, खुलेआम, अदम्य साहस से मनमाना भ्रष्टाचार करने, फर्जी एवं अवैध बिलों के द्वारा राशि हड़पने, शासकीय आवंटित राशि का गबन करने की श्रेणी का अनुचित, अनैतिक कारोबार  करने वाले जुगल किशोर चौरसिया पर भविष्य में कार्यवाही करने की हिम्मत शासन, प्रशासन दिखाता है या नहीं?


ऐसा कभी सुनते थे की चंबल में डाकू हुआ करते थे, जो लोगों की धन दौलत दिन दहाड़े लूटते थे, यह डाकूगर्दी स्कूलों में दिन दहाड़े सफेद पोश बनकर लूट रहे हैं। उनके और इनके कृतयों में कोई खास अंतर प्रतीत नहीं होता है।
डाकू तो वही होता है जो दूसरों की धन दौलत लूटता है। स्कूल में व्याप्त अनियमिताओं को ठीक करने, व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने आदि में कोई भी रुचि चौरसिया के द्वारा नहीं दिखाई गई है, जिससे हजारों की संख्या वाले इस स्कूल में बदहाली व्याप्त है।

ले देकर कुछ महीने पहले उच्च पद भरने के नाम पर पदोन्नति प्रकार में एक प्राचार्य चंदन सिंह ध्रुव इस शाला को लंबे अरसे के बाद नसीब हुए हैं किंतु वह इस हालत और हालात में तथा लोकल होने के बावजूद नाम मात्र के प्राचार्य हैं उनसे कोई कार्य नहीं होता है वह अचेतन शून्य और पूर्णतया निष्क्रिय होने के कारण जुगल किशोर चौरसिया भले ही कुर्सी से कुछ दूर हुए हैं किंतु स्कूल उनकी पूरी पकड़ में है तथा अपनी असली औकात उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर लौटने के बाद अध्ययन एवं अध्यापन कार्य करने में कोई रुचि नहीं लेकर, अपनी शान घटना, मानकर क्लासों में पढाने नहीं जाते हैं, तथा स्कूल आने एवं जाने का तथा नहीं आने का भी कोई टाइम टेबल नहीं है, भले ही स्कूल में एक उपस्थिति पंजी होती है, लेकिन उन पर कोई नियम, कानून लागू होता है।

ऐसा प्रतीत नहीं होता है? मध्य प्रदेश शासन से अपेक्षा है कि उनके प्रभारी प्राचार्य कार्य काल के दौरान हुए समस्त प्रकार के निर्माण, मरम्मत निर्माण एवं मरम्मत कार्यों तथा फर्जी बिना जीएसटी वाले बिलो की जांच तथा खरीदी गई सामग्रियों के बिलों की तथा भौतिक सत्यापन की जांच कर भ्रष्टाचार करने वाले उक्त प्रभारी प्राचार्य को निलंबित कर दूसरे जिले में अटैक कर के उन पर उचित दंडात्मक गाज गिराने की कार्यवाही करेंगे।

वरना आम जनता यह क्यों न सोचे और माने कि पूरा भ्रष्टाचार शासन की शह पर उसकी जानकारी में ही हो रहा है। पारदर्शी, नागरिकों के प्रति उत्तरदाई, भ्रष्टाचार मुक्त, स्वच्छ सुशासन का दंभ भरने वाली भाजपा नीत, मोदी गारंटी प्रीत सरकार कठोर कार्यवाही करके अपनी निर्लिपतता,  एवं वचन बध्यता साबित करके दिखाए, जनता के पैसे की लूट है भ्रष्टाचार करना एवं करवाना।

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Author: Deepak Mittal

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