CG News : हिंदू हाईस्कूल की कबाड़ में मिली सरकारी किताबें, कांग्रेस नेता ने उठाया सवाल

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रायपुर। विद्यार्थियों को मुफ्त बांटने के लिए छपवाई गई सरकारी किताबें कहीं कबाड़ में बेची जा रही हैं तो कहीं स्कूलों में ही डंप मिल रही हैं। गुढ़ियारी में कबाड़ में बिकने, अभनपुर के स्कूल में हजारों किताबें डंप मिलने के बाद राजधानी रायपुर के हिंदू हाईस्कूल में भी बड़ी संख्या में किताबें कमरे में बंद मिली हैं। बता दें कि, कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय को मिली सूचना पर शनिवार को वे रायपुर के ओसीएम चौक स्थित हिंदू हाईस्कूल पहुंचे। वहां कमरा खुलवाकर देखने पर लगभग 15 हजार से अधिक किताबें डंप पड़ी मिली हैं। उन्होंने बताया कि, स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 170 जबकि 170 बच्चों को पढ़ाने के लिए 55 शिक्षकों की पदस्थापना इस स्कूल में है।

प्राचार्य ने शिक्षा विभाग को दी जानकारी

प्यारे लाल यादव शासकीय हिंदू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैरन बाजार के प्राचार्य राजेंद्र देशमुख ने किताबों को लेकर पूरी जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी थी, प्राचार्य ने बताया कि, नवीन व्यावसायिक ट्रेड हेल्थ केयर की कक्षा 11वीं की पुस्तकें हैं जो पाई गई हैं। वो वोकेशनल को-आर्डिनेटर परिवेश मसीह, स्किल ट्री द्वारा रखवाया गया है। यह सत्र 2022-23 की हैं, जो पाठ्यक्रम से बाहर होने के कारण वर्तमान में अनुपयोगी हैं। कुछ किताबें प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल की पाई गई हैं, जो वितरण के बाद शेष बची हैं।

बस्ता के बजाय कबाड़ में किताबें : विकास उपाध्याय

विकास उपाध्याय ने कहा कि, यह देखकर बड़ा दुख होता है कि, जिन किताबों को बच्चों के बस्तों में होना चाहिए वह भ्रष्टाचारियों की भेंट चढ़ गईं और कबाड़-बाजार में मिल रही हैं। साय सरकार बच्चों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी और विकासखंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की मांग की। उपाध्याय ने कहा कि, बहुत जल्द इस घोटाले के खिलाफ प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया जाएगा।

जांच में लीपापोती की तैयारी

वहीं आरोप है कि पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक राजेंद्र कटारा की अगुवाई में बनी जांच कमेटी मामले की लीपापोती में लगी है। शिक्षा विभाग ने 52 लाख बच्चों के हिसाब से मांग पत्र दिया था। मगर पाठ्य पुस्तक निगम ने ज्यादा किताबें प्रकाशित की है। निगम इस दिशा में जांच नहीं कर रहा है कि, इतनी ज्यादा किताबें क्यों छापी गई और सिलियारी स्थित मिल में किताबें कैसे पहुंचीं।

इसके आलावा अब तक मिल संचालक से भी पूछताछ नहीं हो पाई हैं, सूत्रों के अनुसार पूरा ठीकरा लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआइ) पर फोड़ने की तैयारी चल रही है। बताया जाता है कि, कटारा ने स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी को एकतरफा अंतरिम रिपोर्ट भेजकर अधिक संख्या में किताबें छापने के लिए जिम्मेदारी डीपीआइ को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। जबकि पिछले कई वर्षों से जिला शिक्षा अधिकारियों के मांग- पत्र पर निगम
सीधे किताबें भेजता रहा हैं।

ये सभी पुस्तकें छत्तीसगढ़ राज्य ओपन बोर्ड की : रायपुर शिक्षा अधिकारी

रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी डा. विजय खंडेलवाल ने बताया कि, निरीक्षण के दौरान पाई गई पुस्तकें छत्तीसगढ़ राज्य ओपन बोर्ड की हैं, जिसे समन्वयक केंद्र होने के नाते वितरण के लिए रखा गया है। यह किताबें पात्र जि के डा. विजय खंडेलवाल। नईदुनिया छात्रों को वितरित किया जाता है और यह सतत प्रक्रियाधीन है। इसके अलावा कुछ किताबें समग्र शिक्षा की हैं, जिन्हें पूर्व प्रकाशकों द्वारा फ्री सैंपल के रूप में कार्यालय में स्थान नहीं होने के कारण विद्यालय में रखा गया है। यह किताबें बच्चों के वितरण के लिए नहीं है। कुछ किताबें सत्र 2022-23 की व्यावसायिक पाठ्यक्रम की हैं, जो बच्चों से वितरण बाद बच गई हैं। उन्होंने कहा कि, यह विद्यालय ओपन परीक्षा बोर्ड का समन्यक केंद्र एवं संकुल केंद्र भी है। कक्षा पहली से 12वीं तक के अध्यापन के लिए विभिन्न शासकीय प्रयोजन के लिए पुस्तकें रखी जाती हैं। शासन की किताबें शासकीय परिसर में रखी गई हैं, जो सामान्य प्रक्रिया है, इसमें किसी भी शासकीय नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है।

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Author: Deepak Mittal

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