जे के मिश्र : बिलासपुर: नए रायपुर में जमीन के हस्तांतरण और बिलासा एयरपोर्ट के विकास को लेकर जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सेना के रुख पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने विकास कार्यों में हो रही देरी पर राज्य और केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जमीन हस्तांतरण के मामले में वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि सेना ने 90 करोड़ रुपए की धनराशि वापस कर दी है और अब नए रायपुर में जमीन की मांग कर रही है। जबकि अदालत में पहले रक्षा मंत्रालय की ओर से 287 एकड़ भूमि देने पर सहमति जताई जा चुकी थी। इस पर हाई कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
राज्य सरकार ने बताया कि जमीन उनके कब्जे में है, लेकिन सेना द्वारा राशि वापस करने के मुद्दे पर स्पष्टता नहीं दी। केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कहा कि वह सेना के बदलते रुख पर दिशा-निर्देश प्राप्त करेंगे। हाई कोर्ट ने दोनों सरकारों को निर्देश दिया कि वे जमीन हस्तांतरण की वर्तमान स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें।
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि 5 अगस्त को हाई कोर्ट के निर्देश पर एक बैठक हुई थी, जिसमें डीवीओआर टेक्नोलॉजी के उपकरण लगाने पर सहमति बनी थी। इस बैठक के दौरान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस कार्य में होने वाले कुल खर्च की जानकारी दी थी, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार को वहन करना है। राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके गुप्ता ने बताया कि आज ही इस खर्च को वहन करने के संबंध में सहमति पत्र छत्तीसगढ़ सरकार जारी कर रही है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने अनुरोध किया कि इस बैठक के मिनट्स और सहमति पत्र को हाई कोर्ट के रिकॉर्ड पर लाया जाए, ताकि वह भी इस पर अपना पक्ष रख सकें। हाई कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश जारी किए।
कोर्ट में यह मुद्दा भी उठा कि नाइट लैंडिंग उपकरणों की स्थापना के लिए नई बाउंड्री वाल का निर्माण हुआ है, लेकिन इसे एयरपोर्ट में समाहित करने के लिए बाउंड्री वाल गिराने की अनुमति ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी ने नहीं दी है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि ब्यूरो बाउंड्री वाल के किनारे सड़क को पक्का करना चाहता है, तो राज्य सरकार को इसे करना होगा। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी गई है।
