चांदी की पालकी पर सवार होकर निकली बाबा कलेश्वरनाथ की बारात,नागा साधुओं ने किया बारात में शौर्य प्रदर्शन
पीथमपुर में प्रसिद्ध 10 दिवसीय मेला का हुआ आगाज
दुर्गेश राठौर, नवभारत टाइम्स 24 x7 in ब्यूरो,जांजगीर-चांपा

जांजगीर-चांपा,9098505009
जांजगीर-चाम्पा। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पीथमपुर में आज शाम चांदी की पालकी पर सवार होकर बाबा कलेश्वरनाथ की बारात निकली। देश भर से आए नागा साधु सहित हजारों श्रद्धालु बारात के साक्षी बने। लोगों में बाबा की पालकी थामने होड़ मच गई थी। इस बीच नागा साधुओं का शौर्य प्रदर्शन बारात को काफी आकर्षक बना दिया। इसके साथ ही प्रसिद्ध 10 दिवसीय मेला का आगाज हो गया।
नवागढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम पीथमपुर में प्रसिद्ध बाबा कलेश्वरनाथ विराजमान हैं, जो कई मायने में महत्वपूर्ण है। यहां हर साल होली के बाद रंगपंचमी से 10 दिवसीय मेला लगता है। मेला प्रारंभ होने से पहले मंदिर से बाबा कलेश्वरनाथ की बारात निकाली जाती है। यह परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। इस परंपरा को कायम रखते हुए पीथमपुर के मंदिर से चांदी की पालकी पर सवार बाबा कलेश्वरनाथ की बारात बाजे-गाजे के साथ निकाली गई। मंदिर परिसर में सुबह से ही शिवभक्तों की भीड़ लगने लगी थी। देश भर के विभिन्न अखाड़ों से आए नागा साधु बारात में शामिल हुए। दोपहर तीन बजे से राजपुरोहित ने पंचमुखी शिवजी की विशेष पूजा शुरु की। पंचमुखी शिवजी की विशेष पूजा 16 प्रकार से की गई। पहले निर्गुणी पूजा कराई गई, इसके बाद गुणी पूजा हुई। षोडसोपचार पूजा एक घंटे तक चली। जिसमें दूध, दही, शक्कर, मधुरस, चंदन, गंगा जल, सिंदूर, चावल, दुबी, भस्म, आंक, छतूरा व इत्र से पंचमुखी बाबा कलेश्वरनाथ की पूजा की गई। मंदिर के अंदर जहां पूजा चल रही थी वहीं बाहर नागा साधु अपने करतब दिखा रहे थे। इसके बाद नागा साधुओं ने भी पूजा की और बाबा कलेश्वरनाथ को चांदी की पालकी में सवार कर बारात निकाली गई। गाजे-बाजे के साथ शिवजी की बारात जैसे ही मंदिर से निकली रंग गुलाल फिजां में उड़ाए गए। भगवान शिवजी की एक झलक पाने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु शिवभक्ति में मस्त थे, जो पालकी के आगे करतब दिखाते चल रहे थे। हाथों में शस्त्र, त्रिशूल और लाठी लेकर करतब दिखाते नागा साधुओं को देखकर लोग दांतों तले अंगुलियां दबा लेते थे। भगवान शिव की एक झलक पाने लोग बेताब थे। पालकी के करीब पहुंचते ही लोग गुलाल फेंककर भगवान से आर्शीर्वाद ले रहे थे। कलेश्वरनाथ को मेला भ्रमण कराने के बाद बारात नाव घाट पहुंची, जहां नागा साधुओं ने पुण्य सलिला हसदेव नदी में स्नान किया। नदी में भी नागा साधुओं ने करतब दिखाए। नदी तट पर गंगा पूजा करने के बाद बारात वापस मंदिर पहुंची। रंग पंचमी पर हर साल की तरह यहां दूर-दूर से हजार शिवभक्त पहुंचे थे। मंदिर पहुंचने पर विधि-विधान से बाबा की पालकी को मूर्ति सहित स्थापित की गई और प्रसाद वितरण कर बाबा का जयघोष किया गया।
*रात में हुई गोला पूजा*
शाम को कलेश्वरनाथ की बारात से लौटकर विशेष पूजा अर्चना की गई, वहीं आधी रात को नागा साधुओं ने गोला पूजा की। गोला भस्म से बनाया गया, इसके साथ कमंडल, डमरु व दंड की भी पूजा की गई।
10 दिवसीय प्रारंभ हुआ पीथमपुर मेला
मड़ई मेलों की श्रृंखला में जिले का आखिरी मेला रंगपंचमी के साथ पीथमपुर में शुरू हो गया। रविवार से शुरू हुआ मेला तकरीबन 10 दिन तक चलेगा। साल का अंतिम बड़ा मेला होने की वजह से यहां दूर-दूर से लोग मेले का आनंद लेने पहुंचते हैं। शिवजी की बारात देखने पहुंचे भक्तों ने मेले का आनंद लिया। मेले में सुबह से ही चहल-पहल शुरु हो गई थी। बच्चे, बूढ़े, युवा सभी वर्ग के लोग मेेले में खरीददारी करते दिखे। श्रृंगार दुकान, होटल, कपड़े, बर्तन, सोने-चंादी की दुकानों में लोगों जमकर खरीददारी की।
*पुलिस की रही चाक- चौबंद व्यवस्था*
मेले में भीड़भाड़ को लेकर पुलिस ने चाक चौबंद व्यवस्था की थी। पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था के लिए मंदिर परिसर और मेला स्थल पर तैनात थे। इसके अलावा जांजगीर थाना प्रभारी समेत थाने का पूरा स्टाफ भीड़ का नियंत्रित करने दिन भर लगा रहा। सुबह से लेकर शाम तक हजारों की भीड़ को नियंत्रित करने पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

