बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति..

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

जे. के. मिश्र ब्यूरो चीफ, नवभारत टाइम्स, 24*7in बिलासपुर

बिलासपुर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात को लेकर अहम फैसला सुनाया है। लोरमी की एक पीड़िता ने 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अदालत ने गर्भपात की मंजूरी देते हुए डीएनए सैंपल को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस विभु दत्त गुरु की सिंगल बेंच ने की। उन्होंने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि गर्भपात की अनुमति दी जा रही है, लेकिन इसके साथ ही डीएनए सैंपल को सुरक्षित रखा जाएगा, ताकि जब तक यह मामला न्यायालय में लंबित है और पुलिस जांच जारी है, तब तक सबूतों की सुरक्षा बनी रहे।

याचिका के अनुसार, पीड़िता ने लोरमी थाने में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस बीच, पीड़िता ने 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर न्यायालय ने मुंगेली जिले के सरकारी डॉक्टरों से मेडिकल रिपोर्ट मंगाई थी।

डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 26 सप्ताह का गर्भपात पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, लेकिन विशेष मेडिकल निगरानी में किया जा सकता है। इस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पीड़िता को जिला अस्पताल मुंगेली में भर्ती कराया जाए।

साथ ही प्रशासन को एक मेडिकल टीम गठित करने का निर्देश दिया गया है, जो सभी जरूरी स्वास्थ्य परीक्षणों के बाद गर्भपात की प्रक्रिया को अंजाम देगी। यह पूरी प्रक्रिया डॉक्टरों और परिजनों की मौजूदगी में होगी ताकि पीड़िता की सेहत से कोई समझौता न हो।

न्यायालय का फैसला न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
हाईकोर्ट का यह फैसला दुष्कर्म पीड़िताओं के अधिकारों और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल पीड़िताओं को राहत मिलेगी, बल्कि भविष्य में ऐसे मामलों के लिए न्यायिक प्रक्रियाएं और भी प्रभावी हो सकेंगी।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *