बस्तर की लीची कुसुम – आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों से बाजार में बढ़ी कुसुम की आवक

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

राजेन्द्र सक्सेना – जिला प्रमुख दंतेवाड़ा — 9425594944

दंतेवाड़ा – आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र दंतेवाड़ा जिले के साप्ताहिक बाजारों दंतेवाड़ा ,किरंदुल ,बचेली ,गीदम ,बारसूर के बाजारों में इन दिनों कुसुम की आवक काफी देखी जा रहीं है ।किरंदुल के साप्ताहिक बाजार में बुधवार को कुसुम की काफी आवक देखी गई । किरंदुल से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र पालनार से कुसुम लेकर आई आदिवासी ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि पालनार के आसपास के जंगलों में इस बार काफी मात्रा में कुसुम फल फला हैं । विदित हो कि कुसुम फल लीची की छोटी प्रजाति जैसा लगता हैं ।जैसे लीची का लेयर निकलता हैं वैसे ही इसमें भी निकलता हैं ।इसे कोसम ,कुसुम आदि कहा जाता हैं । उल्लेखनीय हैं कि कुसुम में ऐसे रसायन भी होते है जो रक्त के धक्कों को रोकने ,रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने ,रक्तचाप को कम करने और हृदय को उतेजित करने में मदद कर सकते हैं ।कुसुम के प्राचीन नाम के अनुसार उत्तर भारत के किसान इसे प्रायः बर्रे के नाम से जानते है ।लेटिन में इसका नाम कार्थेसम टिंकटोरीयस हैं । विभिन्न भाषाओं में इसके विभिन्न विभिन्न नाम है ।कुसुम का फल एक छोटे बेर के आकार का होता हैं ।यह ऊर्जा का एक समृद्ध स्रोत और प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है ।

 

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Comment

Leave a Comment