दुकानदारों और सेल्समैन की मिलीभगत का संदेह,,दुकानदारों ने 35 किलो चावल के जरिए एक हितग्राही से कमाए 525 रुपये,,,,

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नव भारत टाइम्स 24 x 7 के ब्यूरो चीफ जे.के. मिश्रा की रिपोर्ट:

 

दुकानदारों ने 35 किलो चावल के जरिए एक हितग्राही से कमाए 525 रुपये

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में खाद्य विभाग की ओर से जनवरी 2022 से अक्टूबर 2023 के बीच बीपीएल कार्डधारियों के राशन कार्ड का नवीनीकरण किया गया था। इस प्रक्रिया के तहत शहर के विभिन्न वार्डों, खासकर वार्ड क्रमांक 26, 27, 28, 29 और 30 के सैकड़ों हितग्राहियों के एपीएल कार्ड को विलोपित कर बीपीएल में बदल दिए जाने की शिकायतें मिली हैं, लेकिन इन हितग्राहियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।

सरकारी राशन दुकानदारों ने सुनियोजित तरीके से इस चावल घोटाले को अंजाम दिया है। नवीनीकरण की आड़ में दुकानदारों ने पहले एपीएल हितग्राहियों के कार्ड जमा कराए और फिर उन्हें बीपीएल में बदल दिया। दुकानदार इन कार्डों को अपने पास ही रखते थे और राशन लेने की तारीख में इन हितग्राहियों से अंगूठा लगवाकर 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 35 किलो चावल के बदले 350 रुपये या उतनी ही कीमत की शक्कर दे देते थे। बाद में दुकानदार उसी चावल को 25 रुपये प्रति किलो की दर से बाजार में बेच देते थे। इस तरह 35 किलो चावल को 875 रुपये में बेचकर एक हितग्राही से 525 रुपये का मुनाफा कमाते थे। इस तरह सैकड़ों हितग्राहियों से करोड़ों रुपये की चावल की हेराफेरी हो चुकी है।
खाद्य विभाग ने जांच टीम बनाई,,,मामले की गंभीरता को देखते हुए खाद्य विभाग के नियंत्रक अनुराग भदौरिया ने जांच के लिए एक टीम गठित की है। इस टीम में असिस्टेंट कंट्रोलर अजय मौर्य और इंस्पेक्टर धीरेंद्र कश्यप शामिल हैं। दोनों अधिकारी पिछले दो दिनों से एपीएल से बीपीएल में बदले गए हितग्राहियों के घर जाकर उनके बयान दर्ज कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही मामले की सच्चाई सामने आएगी।
दुकानदारों और सेल्समैन की मिलीभगत का संदेह,,,,
इस घोटाले में दुकानदारों के अलावा एक सेल्समैन रवि परियानी पर भी शक किया जा रहा है। रवि के नाम से जारी अधिकृत आइडी से ही यह गड़बड़ी की गई है। जांच टीम में शामिल सदस्य रवि परियानी के साथ हितग्राहियों के घर जा रहे हैं, जिससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। हितग्राही भी उनके सामने बयान देने से कतरा रहे हैं।
आपराधिक प्रकरण का मामला,,,ऑनलाइन किसी भी हितग्राही के दस्तावेज से छेड़छाड़ करना अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले में भी एपीएल हितग्राहियों के दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर उन्हें बीपीएल राशन कार्ड में बदल दिया गया। इसके बावजूद विभाग की ओर से आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं किया जा रहा है। अपने स्तर पर जांच कर खानापूर्ति की जा रही है।
खाद्य विभाग की मिलीभगत की संभावना,,
बीपीएल राशन कार्ड बनवाने के लिए श्रम कार्ड की आवश्यकता होती है। एपीएल हितग्राहियों के पास जब श्रम कार्ड ही नहीं है तो फिर किस नियम से खाद्य विभाग ने इनके नाम पर बीपीएल राशन कार्ड जारी कर दिया। इसमें च्वाइस सेंटर संचालकों की मदद ली गई हो सकती है। इसके बाद खाद्य विभाग के अधिकारियों की शह पर कार्ड जारी किए गए होंगे।
घोटाले का पर्दाफाश,, विनोबा नगर के कुछ लोगों को इस घोटाले की जानकारी मिली। इसके बाद वे संबंधित सरकारी राशन दुकान में जाकर पड़ताल करने की कोशिश की, लेकिन दुकानदार ने जानकारी देने से मना कर दिया। इसके बाद हितग्राही खाद्य विभाग पहुंचे और पूरी घटना की शिकायत की। प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद विभाग ने इन दुकानों के आवंटन पर रोक लगा दी। अब उच्च स्तर पर जांच चल रही है और दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की तैयारी की जा रही है।
अनुराग भदौरिया, फूड कंट्रोलर का बयान,,
फूड कंट्रोलर अनुराग भदौरिया ने बताया कि मामले की जांच के लिए टीम बनाई गई है। पिछले दो दिनों से टीम मौके पर जाकर हितग्राहियों के बयान दर्ज कर रही है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही मामले में दोषियों की पहचान की जा सकेगी।,,,

जे के मिश्र नवभारत टाइम्स 24 x7in ब्यूरो बिलासपुर

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Author: Deepak Mittal

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