नव भारत टाइम्स 24 x 7 के ब्यूरो चीफ जे.के. मिश्रा की रिपोर्ट:
चार साल बाद भी नहीं मिली चरण पादुका, तेंदूपत्ता संग्राहकों को पिछले चार सालों से चरण पादुका का वितरण नहीं किया गया है। वन विभाग हर साल महिला और पुरुष संग्राहकों को पादुका वितरित करता था।
तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य अब अपने अंतिम चरण में है। कोरबा और कटघोरा वन मंडल में 1.31 लाख मानक बोरा पत्ते संग्रहित करने का लक्ष्य है। 23 दिनों में दोनों वन मंडलों में 1.08 लाख मानक बोरा पत्ते संग्रहित कर लिए गए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 19 हजार 21 मानक बोरा अधिक है। पिछले चार दिनों से सुबह की धूप और शाम की बारिश के बीच पत्ते तोड़ाई का काम जारी है। 728 में से 386 फड़ों में काम लगभग पूरा हो चुका है। पत्तों को फड़ से गोदामों में ले जाया जा रहा है और हितग्राहियों के खाते में 48.34 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
तेंदूपत्ता की कीमत में इस बार हुई वृद्धि के कारण पत्ते तोड़ाई को लेकर संग्राहकों में प्रतिस्पर्धा है। संग्रहण के लिए पर्याप्त समय मिलने से लगभग आधे फड़ों में पत्ते पूरी तरह से तोड़े जा चुके हैं। पिछले कुछ सालों में मौसम के बदलाव और बारिश से काम बाधित होता रहा, लेकिन इस बार ऐसा असर कम रहा। कोरबा वन मंडल में 38 समितियों के अंतर्गत 280 फड़ बनाए गए हैं। यहां 53 हजार 200 मानक बोरा पत्ते संग्रहित करने का लक्ष्य है। कटघोरा में 44 फड़ों से पत्ते संग्रहित किए जा रहे हैं, जिनका लक्ष्य 78 हजार 500 मानक बोरा है। अब तक कोरबा में 65 हजार 243 और कटघोरा में 43 हजार 231 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहित किया जा चुका है।
संग्राहकों को बोनस का लाभ
संग्राहक जितनी अधिक मात्रा में पत्तों का संग्रहण करते हैं, उन्हें उतना ही अधिक बोनस मिलता है। इस बार ग्राम विमलता के पत्ते सबसे अधिक कीमत में बिके हैं। कोई, ठाकुरखेता, लेमरू के पत्तों की भी अच्छी बोली लगी। शासन ने पत्तों की दर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा तय की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1,500 रुपये अधिक है। दोनों वन मंडलों में 98 हजार संग्राहक परिवार पत्तों का संग्रहण करते हैं और उनके खातों में राशि का भुगतान जारी है। तेंदूपत्ता संग्रहण से प्रति संग्राहक परिवार सीजन में 10 से 20 हजार रुपये की कमाई हो जाती है।
मौसमी आपदा से सुरक्षा
जून माह में खेती-बाड़ी और शिक्षा सत्र की शुरुआत होती है। तेंदूपत्ता संग्रहण से मिलने वाली राशि से परिवारों को आर्थिक सहयोग मिलता है। ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया शुरू होने से अब संग्राहकों को राशि के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता।
अमानक पत्तों की समस्या से निजात
अंतिम चरण में अमानक पत्तों की बिक्री की आशंका को देखते हुए फड़ मुंशियों ने पत्तों का आकलन शुरू कर दिया है। प्रति वर्ष खराब पत्तों का हवाला देकर पांच गड्डी अतिरिक्त पत्ते सरा के नाम पर लिए जाते थे। इस बार इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए गांव-गांव मुनादी कराई जा रही है कि लोग बेहतर पत्ते ही फड़ में लाएं ताकि सरा देने की जरूरत न पड़े।
गोदामों में पत्तों का संग्रहण
तोड़ाई का काम पूरा होने के बाद सूखे पत्तों को गोदामों में संग्रहित किया जा रहा है। तेंदूपत्ता संग्रहण के नोडल अधिकारी एसएस कंवर ने बताया कि मौसमी आपदा से हरे पत्तों को सुरक्षित रखने के लिए फड़ों के आसपास वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। अब तक 60 प्रतिशत सूखे पत्तों को गोदामों में संग्रहित किया जा चुका है और उनकी सुरक्षा के लिए अग्निशमन यंत्रों का व्यापक इंतजाम किया गया है।
चरण पादुका की समस्या
तेंदूपत्ता संग्राहकों को पिछले चार साल से चरण पादुका का वितरण नहीं किया गया है। वन विभाग प्रत्येक साल महिला और पुरुष संग्राहकों को पादुका प्रदान करता था। वनांचल गांवों में बिना पादुका के ही संग्राहक पत्ते तोड़ने जा रहे हैं, जिससे संग्राहकों में निराशा है। जिले के दोनों वनमंडलों में 98 हजार संग्राहक परिवार हैं। पत्तों की कीमत में वृद्धि तो हुई है, लेकिन पादुका नहीं मिलने से संग्राहक निराश हैं।

Author: Deepak Mittal
