लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरानगर इलाके से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 11 साल का मासूम बच्चा घर से बिना बताए निकलकर करीब 900 किलोमीटर दूर गुजरात के अहमदाबाद पहुंच गया। पुलिस और परिजनों की मदद से सोमवार रात बच्चे को सुरक्षित लखनऊ वापस लाया गया। सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चे को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया है।
घर छोड़ने की वजह ने सबको चौंकाया
पुलिस पूछताछ में बच्चे के घर से भागने की जो वजह सामने आई, उसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। दरअसल, 10 दिसंबर को बच्चा स्कूल अपने बैग में कंडोम लेकर पहुंच गया था। यह बात उसके सहपाठियों को पता चल गई, जिन्होंने इसकी शिकायत स्कूल प्रबंधन से कर दी। इसके बाद स्कूल में बच्चे को कड़ी डांट पड़ी और प्रिंसिपल ने उसके माता-पिता को बुला लिया।
स्कूल से घर लौटने पर मां ने गुस्से में बच्चे को थप्पड़ मार दिया। इसी बात से आहत और नाराज़ होकर बच्चा अपनी साइकिल लेकर घर से निकल गया और वापस नहीं लौटा।
साइकिल से स्टेशन और ट्रेन से अहमदाबाद
एसीपी गाजीपुर अनित्या विक्रम सिंह के मुताबिक, बच्चे ने पूछताछ में अपने पूरे सफर की जानकारी दी। वह साइकिल से सीधे रेलवे स्टेशन पहुंचा, वहां साइकिल खड़ी की और स्टेशन पर खड़ी एक ट्रेन में चुपचाप सवार हो गया।
ट्रेन चलने के बाद उसने पास बैठे एक यात्री से पूछा कि ट्रेन कहां जा रही है। यात्री ने बताया कि ट्रेन अहमदाबाद जा रही है। इसके बावजूद बच्चा डरा नहीं और उसी ट्रेन में बैठा रहा, जब तक वह अहमदाबाद नहीं पहुंच गया।
फैक्ट्री वर्कर ने दिया सहारा
अहमदाबाद पहुंचने के बाद बच्चे की मुलाकात एक फैक्ट्री में काम करने वाले व्यक्ति से हुई, जिसने मानवीय संवेदनशीलता दिखाते हुए उसे सहारा दिया। बच्चा एक दिन तक उसी व्यक्ति के साथ रहा।
पुलिस ने सुरक्षित कराई वापसी
इधर, बच्चे के लापता होने की सूचना के बाद लखनऊ पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमें लगातार उसकी तलाश में जुटी रहीं। लोकेशन की जानकारी मिलते ही पुलिस की एक टीम अहमदाबाद भेजी गई, जहां से बच्चे को सुरक्षित बरामद कर लिया गया।
मंगलवार को लखनऊ लाकर बच्चे के बयान दर्ज किए गए और काउंसलिंग के जरिए उसे समझाया गया। इसके बाद उसे परिजनों को सौंप दिया गया।
एक गंभीर संदेश
यह घटना बच्चों की मानसिक स्थिति, जिज्ञासा और माता-पिता व शिक्षकों की प्रतिक्रिया के बीच संतुलन की जरूरत को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों से जुड़े संवेदनशील मामलों में सख्ती के बजाय संवाद और समझदारी ज्यादा जरूरी है।
Author: Deepak Mittal










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