मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में भारी भ्रष्टाचार कलेक्टर ने किया स्कूलों का औचक निरीक्षण पाई गई अनियमितता

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जे के मिश्र / मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत शासकीय स्कूल भवनों के निर्माण, अतिरिक्त कक्षों की स्थापना और मरम्मत कार्यों का दावा कागजों तक सीमित रह गया है। भौतिक सत्यापन के दौरान 78 स्कूलों में कार्य अपूर्ण या निम्न गुणवत्ता का पाया गया, जबकि ठेकेदारों ने अपने रिपोर्ट में कार्य को पूरा दर्शाया था। इस पर कलेक्टर ने अनियमितताएं पाए जाने पर ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। ठेकेदारों से अनियमित रूप से निकाली गई राशि की वसूली की जाएगी और उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।

मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना का उद्देश्य था कि स्कूल भवनों का निर्माण, बच्चों के बैठने के लिए अतिरिक्त कक्षों का निर्माण, और मरम्मत कार्य अच्छे से किए जाएं ताकि बच्चों को पढ़ाई में कोई परेशानी न हो। हालांकि, कई स्कूलों में भवन निर्माण और कक्षों की स्थिति ठीक रही, जबकि कुछ स्कूलों में छत का प्लास्टर गिरने और पानी रिसाव की समस्या के बाद मरम्मत कार्य करवाया गया था। सत्यापन के दौरान सामने आया कि ठेकेदारों ने केवल कागजों में कार्य पूरा दिखाया और राशि का आहरण कर लिया।

कलेक्टर ने आयुक्त नगर निगम, आरईएस के कार्यपालन अभियंता और संबंधित सीएमओ को दोषी ठेकेदारों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। साथ ही, उन एजेंसियों और ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया गया है और उनसे निकाली गई राशि की वसूली की जाएगी।

सर्वाधिक गड़बड़ी मस्तूरी ब्लाक में पाई गई है, जहां 48 स्कूलों में कार्य को पूरा बताकर भुगतान लिया गया। वहीं, तखतपुर, कोटा और बिल्हा ब्लाक के भी कई स्कूलों में ऐसी ही गड़बड़ी पाई गई।

कुछ प्रमुख स्कूलों में पाई गईं खामियों का विवरण इस प्रकार है:

1. *बम्हनीखुर्द, बिल्हा ब्लाक* – शाला की छत और बरामदे में तीन लाख 84 हजार रुपये की मरम्मत की गई थी, लेकिन प्लास्टर गिरा हुआ था और कार्य गुणवत्ता रहित था।
2. *तुर्काडीह, तखतपुर* – 11 लाख 30 हजार रुपये की लागत से भवन निर्माण हुआ था, लेकिन छत में सीपेज की समस्या थी।
3. *रानीबछाली, कोटा* – चार लाख 62 हजार रुपये में भवन में सुधार कार्य हुआ था, लेकिन गुणवत्ता का अभाव था।
4. *सबरियाडेरा, मस्तूरी* – आठ लाख 32 हजार रुपये में अतिरिक्त कक्ष निर्माण का कार्य अधूरा था और फर्श का काम बाकी था।

यह गड़बड़ियां इस बात का संकेत हैं कि योजना के तहत कई ठेकेदारों ने सिर्फ कागजी कार्रवाई के आधार पर राशि का आहरण किया।

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