भारतीय बौद्ध महासभा, बिलासपुर द्वारा आयोजित प्रांतीय स्तर का भीमा कोरेगांव विजय पर्व और भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले जयंती का आयोजन 6 जनवरी को डॉ. अंबेडकर प्रतिमा स्थल, जीडीसी कॉलेज, बिलासपुर में भव्य रूप से संपन्न हुआ।
प्रमुख वक्ता का संबोधन
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रो. डॉ. रितू सिंह (लोकसभा प्रत्याशी, चंडीगढ़ और प्रसिद्ध समाजसेवी) ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा,
“लड़ेंगे भीमा कोरेगांव की तरह, पढ़ेंगे भीमराव की तरह, ताकि समाज में मान-सम्मान के साथ जीवन जिया जा सके।”
उन्होंने सावित्री बाई फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि इन महान विभूतियों ने समाज में समानता और शिक्षा का अलख जगाया। डॉ. आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान और हिंदू कोड बिल ने महिलाओं को अधिकार और सम्मान प्रदान किया।
उन्होंने मौजूदा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए शिक्षा और रोजगार में बहुजन समाज के साथ हो रहे अन्याय पर सवाल उठाए और महिलाओं को अंधविश्वास से दूर रहकर शिक्षा के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
विशिष्ट अतिथि सम्मान:
प्रमुख अतिथियों में सुनीता ओंडकार, उषा वाहने, वंदना भांगे, और अन्य महिलाओं का पंचशील मफलर और सावित्री बाई फुले का बैज लगाकर स्वागत किया गया।
रूढ़िवादी सोच पर नाटक:
नवा अंजोर सूर्यवंशी महिला टीम, बिलासपुर द्वारा रूढ़िवादी विचारधारा पर आधारित शिक्षाप्रद नाटक का मंचन किया गया। प्रमुख कलाकारों में प्रीती राजगीर, सोनिया मंजारे और अन्य कलाकार शामिल थे।
सम्मान समारोह:
कार्यक्रम में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं और पुरुषों को डॉ. अंबेडकर रत्न सम्मान से नवाजा गया। भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष अमृत दास डहरिया और उनकी टीम को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम संचालन:
कार्यक्रम का संचालन श्वेता गेडाम, सुजाता वाहने, सरोज हुमने और चेतना तम्हाने ने किया। आभार प्रदर्शन सारंगराव हुमने ने किया।
समारोह में बड़ी संख्या में सहभागिता
कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें प्रमुख रूप से प्रफुल गेडाम, कैलाश गजभीये, सरिता कामड़े, श्वेता गेडाम और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।