घरघोड़ा में धोखाधड़ी का मामला,नामजद शिकायत दर्ज

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बुजुर्ग किसान के साथ धोखाधड़ी का प्रयास

शैलेश शर्मा 9406308437नवभारत टाइम्स 24×7.in जिला ब्यूरो रायगढ़

घरघोड़ा (रायगढ़): घरघोड़ा थाना क्षेत्र में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें ग्राम झरियापाली के निवासी सायबानी ने आरोप लगाया है कि ग्राम झरियापाली के निवासी कैलाश दासे ने उनके बुजुर्ग पिता समारू (87 वर्ष) के साथ धोखाधड़ी की।

सायबानी का कहना है कि उनके पिता समारू, जो शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, के नाम पर बिना उनकी अनुमति के ज़मीन के दस्तावेज़ों में हेराफेरी की गई। यह भूमि खसरा नं. 33/3 के अंतर्गत आती है, जो उनके परिवार के लिए जीवन-यापन का एकमात्र साधन है।

दासे ने बुजुर्ग को धोखे से बैंक ले जाकर पैसे निकाले

सायबानी ने अपनी शिकायत में बताया कि कैलाश दासे ने उनके पिता को बहलाकर घरघोड़ा बैंक में ले जाकर 5,000 रुपये निकालवाए और फिर उनके दस्तखत करवा लिए। इसके बाद, दासे और उनके साथी ने पटवारी से मिलकर खसरा नं. 33/3 की भूमि से संबंधित बिकी नकल और अन्य दस्तावेज़ तैयार करवा लिए।

सायबानी का आरोप है कि यह सब बिना उनकी अनुमति और जानकारी के किया गया। कैलाश दासे और साथियों ने इन दस्तावेज़ों को अपने पास रख लिया और इसकी जानकारी सायबानी को तब मिली जब उनके पिता घर लौटे।

अडाणी कंपनी और दलालों की संलिप्तता का आरोप

सायबानी का मानना है कि कैलाश दासे और उनके साथी मिलकर अडाणी कंपनी के दलालों के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं। उनका आरोप है कि ये लोग उनके अस्वस्थ पिता के कमजोर स्थिति का फायदा उठाकर इस भूमि को अडाणी कंपनी को बेचना चाहते हैं। सायबानी ने यह भी बताया कि इस भूमि के पास अडाणी कंपनी द्वारा एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है, जिससे इन धोखेबाजों को फायदा हो सकता है।

पुलिस से की गई कार्रवाई की अपील

सायबानी ने , पुलिस से अनुरोध किया है कि इस मामले की गहन जांच की जाए और उनके दस्तावेज़ों को वापस दिलवाया जाए। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि यह मामला न केवल धोखाधड़ी का है, बल्कि बुजुर्ग और अस्वस्थ व्यक्ति के साथ किया गया अन्याय भी है।

कृषि भूमि का महत्व

यह मामला इस बात को भी उजागर करता है कि किस तरह ज़मीन का महत्व और उसके आसपास के प्रोजेक्ट्स बड़े धोखाधड़ी के मामलों का कारण बन सकते हैं। सायबानी और उनके परिवार के लिए यह भूमि जीवन-यापन का एकमात्र साधन है, और वे इसे किसी भी कीमत पर बेचना नहीं चाहते।


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