दल्लीराजहरा में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में गुटबाजी,,टिकट वितरण के बाद असंतोष

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दल्लीराजहरा :  दल्लीराजहरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में टिकट वितरण के बाद असंतोष की स्थिति कोई नई बात नहीं है, लेकिन दल्लीराजहरा में इस बार स्थिति और ज्यादा संवेदनशील लग रही है। पिछले चुनाव में भी भीतरघात (अंदरूनी विरोध) के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था, और इस बार नए चेहरे को मौका देने के कारण यह खतरा फिर मंडरा रहा है।

संभावित कारण और असर:
. चर्चित चेहरों की अनदेखी: पार्टी के कुछ वरिष्ठ और लोकप्रिय नेताओं को टिकट न मिलने से उनके समर्थकों में नाराजगी स्वाभाविक है, हालांकि घोषित प्रत्याशी के साथ प्रचार प्रसार में देखा जा रहा है परंतु भीतरघात से इंकार नहीं किया जा सकता,,

भीतरघात की आशंका: दल्लीराजहरा नगरीय निकाय चुनाव में पिछली बार भी भाजपा को इसी वजह से नुकसान हुआ था, और इस बार भी अगर असंतोष दूर नहीं हुआ तो चुनावी नतीजों पर असर पड़ सकता है,,

शहरी सरकार न बना पाने का सबक: बहुमत होने के बावजूद भाजपा पिछले चुनाव में नगर निकाय की सरकार नहीं बना पाई थी। इसका एक बड़ा कारण पार्टी के अंदर गुटबाजी और असंतोष था, कांग्रेस के अध्यक्ष शिबू नायर के खिलाफ संतोष के चलते अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था परंतु वह भी ध्वस्त हो गया था,,

. एक तीर से कई निशाने: नए चेहरे को मौका देने के पीछे पार्टी की रणनीति क्या है, यह भी महत्वपूर्ण होगा। क्या इससे गुटबाजी कम होगी, या फिर असंतोष और बढ़ेगा?

भाजपा के सामने चुनौती:
अब पार्टी संगठन के सामने सबसे बड़ी चुनौती असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को एकजुट करना और भीतरघात रोकना है। यदि पार्टी इस नाराजगी को संभालने में विफल रहती है, तो इसका सीधा लाभ विपक्ष को मिल सकता है।
दल्लीराजहरा नगर निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस में गुटबाजी की स्थिति स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आ रही है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रवि जायसवाल को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद उनके समर्थकों में उत्साह देखा जा रहा है, लेकिन कांग्रेस के भीतर ही कई असंतुष्ट गुट नाराज नजर आ रहे हैं।

चुनाव में टिकट वितरण को लेकर असहमति और असंतोष के कारण भीतरघात की संभावना बढ़ गई है। कई अन्य दावेदारों के समर्थक इस फैसले से नाखुश हैं, जिससे पार्टी के भीतर गुटबाजी और कलह के संकेत मिल रहे हैं। यह स्थिति न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा में भी देखी जा रही है, जहां टिकट को लेकर असंतोष के चलते अंदरूनी मतभेद उभर रहे हैं।

अगर दोनों ही पार्टियां इस गुटबाजी को नियंत्रित नहीं कर पातीं, तो चुनाव में भीतरघात की घटनाएं देखने को मिल सकती हैं, जिससे प्रत्याशियों की स्थिति कमजोर हो सकती है। आगामी चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सी पार्टी अपने असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने में सफल होती है,, इस बार दल्लीराजहरा नगरीय निकाय का चुनाव कड़ा मुकाबला माना जा रहा है दिलचस्प होता जा रहा है जैसे-जैसे तिथि नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे चुनावी प्रचार भी तेज होते जा रहे हैं .

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Author: Deepak Mittal

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